ना जाने क्यूँ बार बार तुम्हारी ओर ही
भागा चला आता है..ये बावला सा मन
तुम आदत हो या हो तलब
तुम इश्क़ हो या हो मेरी चाहत
तुम दिल में हो या हो मेरी सांसों में
तुम दीवानगी हो या हो मेरी आशिकी
तुम ज़िंदगी हो या हो फिर एक किस्सा,
पर जो भी हो पर हो सिर्फ तुम ही
अंकित तिवारी
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