Thursday, November 26, 2020

किसी दिन

यूँ बरसे

कोई बादल

की भिगो दे

बरसों से सूखे पड़े

इस दिल को

और जिससे .. फूटें

कुछ कोपलें .. जो

भर दे .. धड़कनों से

इस सूखे दिल के गुलिस्तां को ..!!


काश!

पर अब असम्भव ही है

ऐसा कुछ भी होना ..!!

वह स्त्री जो

यह जानते हुए भी

की उसे तुमसे प्रेम नहीं

सौंप देती है उसे अपनी देह

सिर्फ़ इसलिए कि वो अपना प्यार बचा सके


तो याद रखना ये तुम्हारे

शोषण की शुरुआत है

जिसकी शुरुआत भी स्वयं तुमने ही की है


क्यों कि प्रेम कभी देह नहीं मांगता है .!!

पुरुषों अपनी पत्नी

को पुकारना सीखो

उसके किसी घरेलू नाम से


उस नाम से .. जिस नाम से पुकारती थी

उसकी माँ .. उसकी सहेलियां

वो नाम जिससे उसकी आँखों में

उतर आए उसके बचपन की चंचलता


अगर चाहते हो आपकी पत्नी आपको दे

आपके बुढ़ापे तक आपको निश्छल स्नेह .!!

Saturday, November 21, 2020

वो मुझसे पूछा करती है .. वो हमको कैसी दिखती है .. मेरे जीवन में उसकी क्या अहमियत है

तब मैं अक़्सर चुप हो जाया करता हूँ .. और उससे इतना कह पाता हूँ कि वो मेरे लिए मेरी
ज़िंदगी है .. दरअसल मैं उसकी तारीफ़ के लिए शब्द नहीं ढूंढ पाता हूँ .. आख़िर क्या लिखूँ
कौन से शब्द चुनूं मैं उसके लिए।

वो पूर्णिमा के चाँद की रोशनी में नहाती हुई शबनम की बूंद है .. जब कभी वो मुझे चाँद की
रौशनी में दिखती है .. उतनी देर के लिए हमें चाँद की रोशनी भी कम लगने लगती है .. दरअसल
उस चाँद का भी क्या दोष .. एक नदी सी चंचल लड़की किसी की भी आभा को फ़ीका कर
सकती है .. उसकी मधुर सी आवाज़ के आगे सुर भी हमें फीके से लगते हैं .. लेकिन मैं उससे ये
सब कह नहीं पाता।

मैं कह नहीं पाता उससे की .. जब वो अपने खुले केशों संग खेलती है तब उसके केशों से जो
पानी के मोतियों की लड़ियाँ टूटती हैं तब सूरज भी पिघलकर बादल बन जाता है .. और वे बादल
बरस जाया करते हैं मुझ पर .. लेकिन मैं उससे नहीं कह पाता ये सब।

मैं नहीं कह पाता उससे की उसकी हंसी में एक खनक़ होती है .. वैसी खनक़ जैसी कोई काम करते हुए उसके हाँथों में पहनी हुई उन रंग बिरंगी उन चूड़ियों की खनक़ .. कभी-कभी उन
चूड़ियों की खनक़ भी किसी कोलाहल सी लगने लगती  है .. पर उसकी हंसी .. हमेशा ही कुछ ऐसे सुकूँ देती है .. जैसे किसी चांदनी रात में घँटों बैठने पे मिलता है .. जो सुकूँ .. लेकिन मैं उसे नहीं कह पाता ये सब।

मैं नहीं कह पाता उससे की .. कभी- कभी दिल करता है .. उसे अपनी बाहों में भर लूँ .. और
उसके रुई से मुलायम गालों को अपनी हथेलियों में लेकर .. उस से कह दूँ .. जानाँ तू कमल की
पंखुड़ियों सी कोमल लड़की है .. जिसपे सारी प्रकृति अपना प्रेम लुटाती है .. तू सिर्फ़ औ सिर्फ़ प्रेम करने को बनी है .. लेकिन मैं उसे नहीं कह पाता ये सब

मैं नहीं कह पाता उससे की .. तू एक चंचल सी लड़की .. जब शांत हो जाती है .. तो ग्रंथो जैसी
गहरी हो जाती है .. तब तुझे समझ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है .. मैं कभी उसेसे नहीं कह पाता की .. मैं तुम्हें घँटों-घँटों निहारता रहता हूँ और सोचता रहता हूँ की जब तुम अपने बगीचे में
लगे झूले में झूलती होगी .. तब वो बगिया भी तुम्हें अपनी गोद में झूला झुलाके सुकूँ पाती होगी ..
मैं भी महसूस करना चाहता हूँ .. तुम्हारी वो छुअन .. जो बगिया महसूस करती है .. मैं भी करीब
से तुम्हें झूला झुलाना चाहता हूँ .. और अपनी प्रकृति को .. जो की तुम हो .. उसकी सुंदरता का बखान करना चाहता हूँ .. लेकिन मैं उसे नहीं कह पाता ये सब।

मैं नहीं कह पाता उससे की .. मैं तुम्हारी गोद में सर रखके .. मैं तुम पर बहुत कुछ लिखना चाहता हूँ .. और कह देना चाहता हूँ .. वो सब कुछ .. जो तुम मुझसे रोज पूछती रहती हो .. मैं तुम्हारी गोद में लेटकर .. तुमको अपलक निहारते हुए .. तुमसे कहना चाहता हूं .. की तुम बहुत
सुंदर हो .. तुम इतनी सुंदर हो .. की मैं कभी स्वर्ग की भी कामना न करूं .. तुम मुझे इतनी अच्छी
लगती हो .. की मैं इंद्रदेव की मेनका भी उन्हें लौटा दूँ .. और उनके मन में ईर्ष्या भर दूँ .. तुम्हारा
बखान कर के .. लेकिन मैं उसे नहीं कह पाता ये सब।

मैं नहीं कह पाता उससे .. की तुम मुझे कुछ ऐसे पसंद हो की .. मैं दिन के चौबीसों घण्टे उस ईश्वर
का धन्यवाद करना नहीं भूलता .. जिसने तुम्हें रचा है .. मैं उससे कहना चाहता हूं कि मैं तुम्हें ऐसे प्रेम करना चाहता हूँ .. की अपनी आख़िरी सांस भी तुम्हारी गोद में लेना चाहता हूं .. मैं कठोर तप
करके ब्रह्मा जी को अपने सम्मुख लाकर उनसे कहना चाहता हूं की .. हे! ब्रह्म देव .. बहुत सुंदर है
ये धरा .. जिसे बड़े प्रेम से गढ़ा है आपने .. लेकिन आपने ही फ़िर तुमको बना के इस सृष्टि की
सुंदरता को कम कर दिया है .. मैं ये सब सोचता रहता हूँ .. जब तुम्हें अपलक निहारता हूँ।

लेकिन कह नहीं पाता की .. तुम कितनी सुंदर हो .. तुम जब मेरी बाँहों में होगी और पढ़ पाओगी
मेरे मन को तो समझ जाओगी की तुम कितनी सुंदर हो .. और मैं कितना प्यासा हूँ .. उस ओस की बून्द का जो स्वाति नक्षत्र में सीपी के मुख में गिर कर मोती बन जाती है और लेती है तुम्हारा आकार .. और लेती है आकार उस शिल्प का .. जो शिल्पकार सिर्फ़ अपनी कल्पनाओं में बनाता है .. लेकिन उसे कभी वास्तविक रूप नहीं दे पाता है .. लेकिन तुम मेरी कल्पना की वो मूर्ति हो
जो मुझे प्रत्यक्ष प्राप्त है और जिसे मैं जीवन भर पूजना चाहता हूँ .. अपने प्रेम से ...

सुनो! मैं तुमसे कहना चाहता हूं की उस ईश्वर द्वारा रचित इस संसार की सबसे सुंदर रचना हो .. हाँ ! तुम बहुत सुंदर हो ......!!

Thursday, November 19, 2020

जब कभी हम

मिलेंगे तुमसे

तब तुम
मत कहना
हमसे की तुम
करती हो
हमसे बेइंतहा प्रेम

हो सके तो
ले जाना तुम हमें
किसी अंधेरी रात को
खुले आसमां के नीचे
जहां तुम्हारी
आँखों की चमक से
फ़ैल रही हो
चाँद सी रोशनी

भरकर मेरे गालों को
अपनी हथेलियों में
तुम बस
पूछ लेना हमसे
उस आसमां
के चाँद
की ओर
निहारते हुए

क्या तुम
मिलोगे हमसे
उस दुनिया में भी
जहां है
अनुमति सिर्फ़
आत्माओं के
मिलन की

किसी की मृत्यु पर

होने वाले शोक से भी

अधिक ह्रदयविदारक होता है

.

.

किसी अर्थी को कांधा देते समय होने वाला .... रूदन ..!!

हो ऐसा

की

किसी रोज़

मैं आईना

बन जाऊं


तुम

हो कितनी

सुंदर

कभी तुमको

ये भी दिखाऊँ ..!!

Monday, November 16, 2020

किसी को

अपना बोल

देना और

किसी को

अपना बना लेना


इन दोनों

बातों में

बहुत बड़ा फ़र्क है .!!

वो जो

भटके हुए थे

वो चल पड़े

प्रेम की राह पर


और वो जो

इस राह पर

चलकर

लौटने वाले थे

वो भटक गए

इसी प्रेम की राह पर


की आख़िर

प्रेम को

कभी मंज़िल

ही कहाँ मिली


के इसका तो

काम ही है

सिर्फ़ भटकाना

और बस

भटकाते रहना .!!

प्रेम ही तो है


जो

करा देता है बिन बादल बरसात

जो

उगा देता है हरा भरा उपवन किसी मरुस्थल में भी

जो

बना देता है मनुष्य को भी ईश्वर

जो

कर देता है लम्हों को भी एक उम्र

जो

करा देता है इंतज़ार सदियों का .. मिलन को


थम जाओ न करो इसकी दुर्गति

दुर्गति इसकी लाएगी एक रोज़ विनाश .!!

यूँ तो मैं

कर सकता हूँ .. प्रेम


धरती से

प्रकृति से


आकाश से

चाँद की

सुंदरता से


वन उपवन से

पहाड़ .. नदियों से

कल-कल कर

बहते झरनों से

हो सकता है

कभी स्वयं से


मग़र नहीं

कर सकता मैं

तुमसे किया प्रेम


“किसी और से”

Sunday, November 15, 2020

किस हद तक ............ किसी से ......... प्रेम किया जाए

किस बात पे रोया जाए किस पे हंस के टाल दिया जाए..!!

रातें रह रह कर उसकी .. चिल्लाया करती हैं

लगता है ! ख़्वाब उसके .....  सारे मर गए हैं !!

तुम्हारा ज़रा सा स्नेह था .. जैसे नीम की छांव

तपती धूप में जो देती थी .. हमें आराम

और .. ज़रा सा स्नेह ही तो .. मांगा था .. तुमसे ..!!

 आख़िरी मुलाक़ात में


अपने आंसुओं को बमुश्किल पोछते हुए वो बोली .. आज के

बाद तुम्हारी नज़रों में मेरी क्या अहमियत रहेगी .?


उसने कहा .. जब भी तुम्हें मेरी ज़रूरत होगी .. तुम्हारे शहर को

जाती दिन की पहली ट्रैन .. मुझसे कभी नहीं छूटेगी .!!

मैं.. मरने से पहले .. बांट जाऊंगा अपनी कुछ आदतें .. इस जहाँ को .. आदत .. वो तुम्हें .. भूल न .. पाने की आदत ताकि तुम सलामत रहो .. मेरे बाद भी .. मेरी ओर से .. औरों की यादों में ..!!

Thursday, November 12, 2020

 उसने एक रोज़

अपने चाँद से

नूरानी चेहरे पर

ओढ़ ली थी

लाल रंग की चूनर


वो जब चूनर से

ढक लेती

चाँद से चेहरे को

तो हो जाती अमावस


वो जब उठा लेती

चूनर को

चाँद से चेहरे से

तो हो जाती पूर्णिमा


लोग

न जाने क्यों

समझ लेते

गुज़र गया

एक पखवाड़ा .!!

Wednesday, November 11, 2020

अटलांटिक

महासागर सा

मेरे

चहुँ ओर

फ़ैला तुम्हारा प्रेम


और

तुम्हारे प्रेम रूपी

उस महासागर में

डूब चुका

मैं एक “टाइटैनिक”.....!!

दिन के

चौबीसों घण्टे

आईने के

सामने

खड़े होकर

चेहरे को

चमकाने में

लगे रहने

वाले लोग


दरअसल

ज़िंदगी भर

नहीं देख पाते

ख़ुद को कभी......!!

तुम पूछा न करो ..... मेरे लिए ......  सुकूँ क्या है ..?

मेरे लिए सुकूँ बस ... मेरे हाँथों में ... तेरा हाँथ है.....!!

Tuesday, November 10, 2020

मिरी हर रात का एक महकता सा ख़्वाब बन जाओ

मिरे लबों से लब लगाओ.......मिरी आब बन जाओ...!!

घाटा ... मुनाफ़ा देख ... प्रेम को बदनाम करते हो

वो तो प्रेम है .. जिसको तुम .. व्यापार समझते हो ..!!

पगली सी .. चंचल सी .. एक लड़की है

जो बनने वाली .... अब मेरी ... पत्नी है ..!!

पतझड़ में

उजड़ चुके

किसी दरख़्त पर

जैसे कोई

मलिन कपड़ा

आ फसता है न

जो न कभी उड़ता है

न ही कभी गिरता है


कुछ उसी तरह

तुम्हारी यादों को

मैंने टांक लिया है

अपनी रूह से

विरह अश्क़ों की सुई धागे से

जो इस शरीर के मिटने तक

मेरी रूह में उलझी रहेंगीं .!!

Sunday, November 8, 2020

कितना

अच्छा होता न !


गर हमें मालूम

होता की

उस पिता की

“माँ” कौन है

जो है हम

सभी का पिता


जाकर अपनी

दादी के पास

रोते हुए कर देते

हम भी

अपनी शिकायत


जब वो

छीन लेता

हमसे

हमारी मनपसंद

की कोई भी चीज़...!!

मैं कितना भी

कुछ भी लिख दूँ

पर जब तक

मैंने जो लिखा

उसके बहुअर्थों

में से भी

वास्तविक अर्थ

न निकाल सको तुम


न समझ सको

जब तक तुम

मैं जो लिखकर

भी न लिख सका

तब तक तुम न

समझना

तुम प्रेम में हो

मेरे शब्दों के प्रेम में हो .!!

 ....


जानती हो!

ये जो नदियां बहतीं हैं .. ये क्या हैं .?

ये कुछ और नहीं बस पहाड़ों का दर्द है .. जो उसने

किसी रोज़ किसी अपने के सीने से लग बहाया था


जैसे मैं बहा देता था अपना सारा दर्द .. तुम्हारे सीने से लग .!!

Saturday, November 7, 2020

ये हंसी मज़ाक का काम नहीं है .. ज़माने वालों

जिससे भी करना .. जबाबदारी से करना

गर जो कर लिया है ..  इश्क़ .. किसी से तो

                      पूरी ईमानदारी से करना ..!!

उससे प्रेम करने का दावा भी करते हो

और उसी पर संदेह भी करते हो .. तुम


तो सुनो ! ...... आत्मा तो मर चुकी है तुम्हारी

फ़िर भी ज़िंदा होने के दावे कैसे करते हो तुम..?

 पगली सी .. चंचल सी .. एक लड़की है

जो बनने वाली .... अब मेरी ... पत्नी है ..!!

देह!

न .. न .. उसकी

जगह तो सबकी

तरह हमें भी

मालूम है

एक रोज़ मिल

ही जाना है

इसको मिट्टी में


चिंता रहती है

हमें तो

इस देह में मौजूद

रूह की

जिसे मैं

आज तक कोई

घर न दिला सका

जहाँ ये रह सकती

युगों युगों तक .!!

तेरी नज़रें ही तो......मुझे.......ख़ाश बनाती हैं

वरना तो मैं........महज़ एक आम इंसान ही हूँ...!!

तेरी आवाज़ से मधुर

कोई आवाज़ नहीं

.

.

बस तू ही आख़िरी है

अब कोई और चाहत नहीं...!!

फ़कत चेहरा देखकर किसी पर यक़ीन कर लेते हैं लोग

भूल जाते हैं .. सोने की लंका में भी रहते दानव ही थे .!!

अपने ख़्वाबों में तस्वीर हमारी गढ़ता होगा क्या

जो ये लिखते हैं हम .. कोई पढ़ता भी होगा क्या .?

Friday, November 6, 2020

दुनिया के कुछ

सबसे कठिन कार्यों

में आता है

किसी को “सुनना”


तुमसे होती

घँटों बात से

मैंने सीखा “सुनना”


दुनिया का

एक कठिन कार्य भी

तुमको सुनने से

बन गया सरल......!!

मैं

देख रहा हूँ

तुमको
और
देख रहा हूँ
तुम्हारी
आंखों से
इस
सम्पूर्ण संसार को

जिसमें
विद्यमान
हर वस्तु
होती जा रही है
नष्ट
एक निर्धारित
समय के उपरांत

और मैं
देख रहा हूँ
रह जाता है
इस सम्पूर्ण
संसार में सिर्फ़ प्रेम

वही प्रेम
जिसमें
पड़कर
मैं देख रहा हूँ
सिर्फ़ तुमको
और तुम्हारी
आंखों से
इस सम्पूर्ण

संसार को...!!

वे इलाक़े जहां

पाए जाते हैं

उच्च श्रेणी के लोग


होती हैं

हर रोज़ उन

उच्च श्रेणी के

लोगों के घरों में

रोज़

बड़ी बड़ी पार्टियाँ


और होती हैं

उन पार्टियों में

हर रोज़ ही

जातिवाद पर चर्चाएं


क्या उन घरों में

बनी रोटियों की भी

होती है

क्या कोई जाति...??

लोगों ने खेलना कहाँ बंद किया है वे खेलते तब भी थे खेलते आज भी हैं बस फ़र्क इतना है तब खिलौनों से खेलते थे जो टूट भी जाते थे तो नया मिल जाता था और अब इंसानों के दिलों से खेलते हैं जो टूटता है तो मृत्यु के बाद ही नया मिलता है ..!!

Thursday, November 5, 2020

ज़िंदगी में पसरा है

कुछ ऐसे .. सन्नाटा


जैसे पसरा होता है

मरघट में .. सन्नाटा


जल रही है मन में

अपनी ही चिता .. ऐसे


जैसे .. जल रही हो

मरघट में .. कोई चिता ..!!

हम सभी
आजीवन
तलाश में
रहते हैं
एक स्त्री के
प्रेम की
और काम
करते रहते हैं

काम से
धन मिलता है
और प्रेम से प्रेम

पर हम सभी
पहले धन
संचय करते हैं
उसके बाद
निकलते हैं
एक स्त्री के
प्रेम की तलाश में

लेकिन हम
ये भूल जाते हैं कि
स्त्री का धन से
कोई सम्बन्ध नहीं है
स्त्री का सम्बन्ध है
सिर्फ़ और सिर्फ़
प्रेम से...!!

किसी रात जो

सोते सोए

जाग जाएं हम


और फ़िर

अगर हमको

नींद न आये तब


तुम मेरे सर को

अपनी गोद

में रख

क्या मुझको

प्यार की नींद सुलाओगी..?


सुनो! जानाँ

क्या तुम हमें एक नन्हे से

शिशु का प्यार दे पाओगी...??

तुम्हारा

प्रेम

कुछ

वैसे ही आया

मेरे जीवन में


जैसे

किसी सूख कर

जर्जर हो चुके

किसी पेड़ की

एक सूखी हुई

डाल पर

उग आता है

अचानक से

एक नन्हा सा..हरा पत्ता


और उस

पत्ते को देखकर

वो जर्जर

हो चुका पेड़

एक दफ़ा फ़िर

उठ खड़ा होता है

इस आस में

की अभी उसकी

ज़िंदगी कुछ और बाकी है....!!

Wednesday, November 4, 2020

क़यामत टूटेगी !....न जाने कितने ही दिलों पे आज

के चाँद का चाँद से............सामना जो होगा आज...!!

मेरी आँखों में बसी अपनी तस्वीर को देखना कभी तुम

तुम जान जाओगी...................कितनी प्यारी हो तुम..!!

Tuesday, November 3, 2020

ए! आसमां के चाँद

आज फ़लक पर जल्दी आना


तेरे इंतज़ार में....आज मेरा चाँद

सुबह से......भूखा प्यासा बैठा है...!!

मैंने हमेशा तुम्हें वो प्यार देना चाहा जो एक पिता

अपनी नन्हीं सी बेटी को देता है और मैंने भी तुमसे

कभी नहीं चाहा कि तुम एक प्रेमिका का प्यार मुझे दो

मैंने चाहा तो बस इतना कि तुम एक मां का प्यार मुझे दो..!!

मैं तुम्हें

देना चाहता था

उतना प्रेम

हैं जितने इस

धरा पर वन उपवन


सुनो!

मैं तुमसे चाहता था

बस उतना सा प्रेम

जितना उन घने वनों में

होती है दो दरख़्तों

के बीच थोड़ी सी जगह

बस सूरज की एक

किरण आने के लिए

जिससे मिलता रहे

जीवन उन दरख़्तों को.!!

जब देखती हो तुम मुस्कुरा कर....हम खो जाते हैं

जब देखते हैं उसको.................हम खो जाते हैं


न देखा करो मेरी जानाँ.........यूँ टकटकी लगाकर

सच कहूं !तो मेरी जानाँ..............हम खो जाते हैं...!!

तुम्हारा ज़रा सा स्नेह था .. जैसे नीम की छांव

तपती धूप में जो देती थी .. हमें आराम

और .. ज़रा सा स्नेह ही तो .. मांगा था .. तुमसे ..!!


ख़ैर!

तुम आकर

देखना

किसी रोज़

मेरी आँखों को


इन आँखों में

नज़र आएगा

तुम्हें मीलों

फैला रेगिस्तान

जिसमें है बस

चहुँ ओर

फैला सन्नाटा

वीरानी .. हताशा

और उदासी


और जो है सूखा

प्यासा .. प्रेम का

तुम्हारे प्रेम का ..!!

Monday, November 2, 2020

बिताऊंगा
इक़ शाम
तुम्हारे साथ
किसी बहती हुई
नदिया के किनारे
जब ढल रहा
होगा
सुर्ख़ सूरज
हमारी निगाहों में

तब मैं
बढ़ाकर हाँथ
ले लूंगा
तुम्हारी
हथेलियों को
अपनी हथेलियों में

और
हौले से
रख दूंगा
अपने लबों को
तुम्हारे ग़ुलाबी होते
रुख़सारों पर

और
लगाकर तुमको
अपने सीने से
कह दूंगा
धीरे से
तुम्हारे कान में
की...सुनो !
बहुत अच्छी हो तुम .. बहुत अच्छी ..!!

बनती हैं दीवारें भी

उसी मिट्टी गारे से
बनते हैं .. जिससे पुल

पर दीवारें चंद पल में बन जाती हैं
क्यों?
क्योंकि ये
बांटतीं हैं
तोड़तीं हैं
बनातीं हैं सरहदें

और पुल बनने में बरसों लगते हैं
क्यों?
क्योंकि ये
जोड़ते हैं
दूरियां मिटाते हैं
करते हैं .. दो किनारों को एक ..!!

जैसे

सुबह का सूरज

बिखेर देता है

धूप.......हरे-भरे बाग़ानों पर

.

.

.

कुछ वैसे ही

वो अपने खुले केशों को

हर सुबह

बिखेर देती है......मेरे शानों पर....!!

सीधी साधी सी एक लड़की आ बसी है........दिल में

पर लगता है जैसे कोई अप्सरा आ बसी है.....दिल में..!!

हम तो पड़े थे इस दुनिया में...........बिखरे हुए शब्द से

दिल में तुमने अपने बसाकर हमको एक गीत बना दिया..!!

सुनो!
मैं...तुम्हारे
बारे में
बहुत
कुछ नहीं
जानता हूँ
न ही...मैं
तुम्हारे
बारे में
बहुत कुछ
जानने की
इच्छा रखता हूँ
मैं तुमको
अपनी
आख़िरी
सांस तक
जीना
चाहता हूं
मैं तुमको
आजीवन
प्रेम
करना
चाहता हूँ
बिल्कुल
वैसी ही
जैसी तुम हो...!!

हर पल साथ रहती हो.......मानो जैसे हवा हो तुम

सांस बनकर........हर पल रग रग में बहती हो तुम

बिन छुए भी...........हर पल महसूस होती हो तुम

धड़कन बन..कुछ ऐसे मेरे दिल में धड़कती हो तुम


सुनो! जानाँ...............मेरी ज़िंदगी हो..........तुम..!!

Sunday, November 1, 2020

प्रेम कविता

अब जाकर मिला हूँ ...............उससे

 जिसने मिलाया है .....मुझे......मुझसे

प्रेम कविता

इस धरा पर

घटित

होने वाली

सभी

क्रियाओं को

जब

बांधा गया है


एक

तय सीमा

के दायरे में


तो फ़िर

प्रेम को

क्यों नहीं

बांधा गया

किसी सीमा

के दायरे में...!!

-तिवारी जी

प्रेम कविता

वो करती है

तुमसे

बेइंतहा प्रेम


प्रेम में...वो

अपना सर्वस्व

त्याग कर

तुम्हारे पास आई है


उसे अपने

मतलब के

हिसाब से

इस्तेमाल कर

दुत्कार देना


उस स्त्री के

साथ साथ

उस प्रेम

का भी

अपमान है

जो उसने

तुमसे किया था...!!

संसद भवन में स्थापित सेंगोल का क्या इतिहास है ?(पांच हजार पूर्व का इतिहास )

पीएम नरेंद्र मोदी जी का एक और ऐतिहासिक फ़ैसला जिसने हमारे पूज्य प्रधानमंत्री जी के गौरव के साथ - साथ भारत के भी सम्मान को भी बढ़...