Saturday, May 29, 2021

ग़लती किसकी ?

 

 

 

 

 

खुद को थपड़ मारने के बाद कितना दर्द होता होगा खुद को ? सोचे और बताएं |  जाने दीजिये ये बताईये ............कितना दर्द होता है,, जब कोइ आपको थपड़ मरता है ,, आपकी ग़लती पर ? 

ये बताईये कितना दर्द होता है ,, जब आपको बिना ग़लती के थपड़ मारे ?

 

हम सबसे जायदा बुद्धिजीवी है ,, हमें अभिमान है,, इस बात का | हम मनुष्य प्रजाति के है | कई योनियों बाद मनुष्यो का जन्म होता है |
कभी सोचा है ,, हमने कभी इस बात का लाभ नहीं उठाया की हम मनुष्य है ,, सिर्फ फ़ायदा उठाया है | अब आप सोच रहे होंगे ,, दोनों शब्दो का अर्थ तो एक ही होता होगा | मान लेते है आपकी बात ,, फिर ये भी तो सोचिये  एक ही अर्थ के लिए दो शब्दों की क्या  आवशकता पड़ी  ||

 

हमेसा सोचते रहिये ? सोचना जरुरी होता है |
मैं मुद्दे से नहीं भटक रही,,कुछ पुराने विचारो को साँझा करके आपसे कुछ मुद्दे उठाने का प्रयाश कर रही हूँ  |

 बस इतना कहना चाहती हूँ ,, सोचना जरुरी होता है   ||

 

 हमारे समाज में लड़कियों को ये समझा जाता है ..........वो कमजोर है ,, शारीरिक तौर पे ,, कुछ लोग मानशिक तौर पे भी उन्हें कमजोर मानते है | इस नाते बहोत साल पहले ये तय किया गया था की ,, लड़की बाल्यावस्था में पिता के पास , युवास्था में पति के साथ और प्रौढ़ावस्था में बेटे के साथ सुरक्षित रहती है |

मान भी लेते है की बात सत्य हो सकती है |
पुरुष वास्तव में,, पुरुषार्थ का धनी हो तो संभव है | लेकिन पुरुष मादा भक्षी हो तो कहाँ तक ये बात सहमत होने वाली है |
सोचिये और सोच के बताईये ? 


कहा जाता है की ,, महिला को एक पुरुष का साथ होना आवश्यक है | मान लेते है इस बात को |

फिर ये सोच के बताईये ,, अभी भी कुछ राज्यों , कस्बो और गॉवों में जब किसी स्त्री का पति गुजर जाता है तो उसकी दूसरी शादी  को लेके हमारा समाज ये दकियानुशी क्यों हो जाता है ? आखिर इसी समाज ने ये कहा है की एक महिला को पुरीष के साथ की जरुरत है | फिर पुरसो को दुबारा बिवाह करने में दिखाते उतनी नहीं आती ,, जितनी महिलाओ में आती है | कमजोर तो महिला है ,, साथ की और सुरक्षा की उसको जरुरत है |
खैर ये सब बातें अब धीरे -धीरे ख़तम हो रही हैं | ये जान कर मुझे खुसी है ............लेकिन अभी भी ये है ,, इकीसवीं सताब्दी में भी ,, ये जान कर बहोत दुःख है |



 

 

 

 

खुला आसमान के निचे ....ये चलता छोटा सा परिंदा ..............अपनी पैजानियों से .............घर आँगन को गुँजाता जाने कल अपने कदमो से कितनो के लिए एक नई राह बना जायेगा ..........................|

आसमान में उड़ते परिंदे 

 

मैं,,

कभी कोइ गहरे चिंतन वाले काम नहीं करती | मुझे याद भी नहीं की मैंने कभी किया होगा | मैं साधारण सी लड़की ,, एक साधारण से परिवार में पली बढ़ी | एक असाधारण सोच के साथ बड़ी हुई | मुझे ये नहीं पता था,, बचपन में की करना क्या है , कैसे करना है ............बस इतना पता था की ..................मैं अपनी एक अलग पहचान बनाउंगी | मैं कभी भी आस -पास की महिलाओ की तरह जीवन नहीं गुजारूंगी | बस इतनी सी असाधारण सोच थी | जिसके लिए मैं आज तक जीवित हूँ | वो कहते है ना ,, जब तक जीवन है तबतक आस है ................और जबतक आस है ,, उस आखरी क्षण तक एक प्यास रहती है .....एक सपना रहता है जो रातो की नींद उड़ा   देता है ||

नींद में  कभी ख्वाब आ जाये तो ................तो ख़ाली आसमान  में  उड़ते कुछ परिंदो का आना मेरे लिए आम बात  रहा है,, बचपन से | वो परिंदे .........जिनके पंख उनके अपने ख़्याल है ..............और उनके ख़्याल का सच होना उनका आसमान |

कभी सोचा है .......ये जो ख़ाली मैदानों में ......दोनों पेड़ो के सहारे टंगा ये दो रसियों से चलता...........जो हमारे बचपन का पहला साथी होता था  ,, जिसे हम झूला कहते है | जो अपने बाँहों में जाने कितनो के बचपन को सवार चूका है | ये झूला किसी बच्चे की कल्पना की उड़ान है ,, जिस उड़ान में हम आज तक मजे ले रहे है  ||


 




आज से पहले और आज के बाद भी जाने कितने .................ख़्वाब आँखों में आये होंगे और जाने कितने ख़्वाब आएंगे ||
जाने इन ख्वाबो को पूरा करने में ...........कितने मासूम मारे जायेंगे | क्युकी हमने इनकी पैरों में बेड़ियाँ बाँध राखी है | झूठे अहंकार की ..............अपने झूठे अभिमान की |

इन नन्हे परिंदो को ............जीने दो
इन्हे उड़ने दो .............खुला आसमन दो इन्हे
इन्हे खुद से सवारने दो .....खुद को
साथ दो ...............सहारा मत बनो
इन्हे प्रेम दो ...............लोभ मत दो

ये आपके ख़्वाबों के फूल हैं
ये सुख गए ..............तो जमीं पे बिखर जायेंगे
आँचल में संभाल लो .............
इन्हे खिलने दो .....................||

आज जो ये नन्हे परिंदे है ..................कल अपना खवाबो का घोसला बनाएंगे ...................||
खुला आसमान के निचे  ....ये चलता छोटा सा परिंदा ..............अपनी पैजानियों से .............घर आँगन को गुँजाता जाने कल  अपने कदमो से कितनो के लिए एक नई राह बना जायेगा ..........................|

आपके आँगन का ये नन्हा सूरज ............जाने कितने आसमानो को जगमगा जायेगा ...........................|

ये नन्हा परिंदा कल आपके सपनो को भी पंख देगा ........... इन्हे उड़ने दो |

कल मैंने  देखा एक नन्हा परिंदा
आसमान में उड़ता हुआ ......दिल को सुकून हुआ
अभी कैद..... इतनी भी नहीं हुई
हमारी सोच ......
कभी -कभी ही सही
दिख जाता है,, एक नन्हा परिंदा उड़ता हुआ  || 


 

 

 

 लेखिका :- प्रिया मिश्रा :))  
सहलेखक :- अंकित तिवारी 

 

 

Friday, May 28, 2021

ख़ामोश मन में ..............शोर बहोत था | बरात की शहनाई अभी बज रही थी ..................बारात आ गयी थी दरवाजे तक | एक लाश को दुल्हन की लिबाश में सजा कर सब बहोत खुस थे |

 मैं क्या चाहती हूँ ? (लघु कथा )

 

 आज घर में बहोत भीड़ इकठ्ठी हो रखी थी | रमा की शादी थी |  रमा मेरी पड़ोसन थी | मेरी अच्छी दोस्त भी | कम बोलना उसका स्वभाव था |
रमा कम बोलती थी,, उसकी आँखे बहोत कुछ कहती थी | वो कुछ नहीं बहोत कुछ कहना चाहती थी | लेकिन उसके होंठ नहीं हिलते थे | बचपन से सिले हुए होठ ..............अब खुलते ही ना थे ............ऐसा लगता था पुराने घर में किसी ने ................ताला लगा रखा था | उसपे कई झाड़ियाँ आ गयी थी | ऐसे बंद थे उसके होठ |

शहनाइयाँ बज रही थी ,,  मिठाईयां बन रही थी ..............सब खुस थे .............बस कोइ एक ख़ाली सा बैठा था ,, वो थी रमा ......रमा कुछ कहना चाहती थी | वो चीख एक कहना चाहती थी ...........मैं शादी नहीं करना चाहती हूँ .......... मैं खेलना चाहती थी,, बचपन में | मैं भी  मुस्कुराना चाहती थी | मुझे भी प्रेम भरा स्पर्श  चाहिए था | लेकिन मुझे कुछ नहीं मिला ................मैं खोखली हूँ अंदर से ................मेरे अंदर कुछ नहीं है | मैं खाली हूँ | मैं इंसान हूँ | मुझे सुनो ............कोइ मुझे सुनो | सब खामोश थे ,, सब बहरे बैठे थे ...........कोइ नहीं सुन रहा था | सबके लिए रमा बस एक मिट्टी की गुड़िया थी | बस एक मिट्टी की गुड़िया |

ख़ामोश मन में ..............शोर बहोत था | बरात की शहनाई अभी बज रही थी ..................बारात आ गयी थी दरवाजे तक |
एक लाश को दुल्हन की लिबाश में सजा कर सब बहोत खुस थे | 

 

 अंकित तिवारी 

 


 

Thursday, May 27, 2021

दरवाजा जोर से बजा ..रमाकांत अब जाग गया था | लेकिन समय उसका सो गया था | रमाकांत अब मुस्कुरा रहा था ,, और अब वो कुछ नहीं बोल पाया | उस मकान में सिर्फ सन्नाट था | पाप का तांडव था ...............और दो कराहती हुई आवाज थी |

 एक छोटी सी कहानी 

 

 रमाकांत आज खाट पे लेटे -लेटे सोच रहा था  | क्या हुआ था , कैसे हुआ था , मैं कहाँ चूक गया | तभी उसे वो घटना याद आई
जिस घटना को याद कर उसकी रूह काँप गयी |

रमाकांत के पिता गुजर चुके थे | आँगन में शव रखा था | सब यही सोच रहे थे .... कौन अग्नि देगा ? सारा सामान कौन लाएगा ?
रमाकांत चार भाई थे | ये सबसे छोटे थे | रमाकांत ने कभी अपने भाईयो और पिता की नहीं सुनी | वो स्वम् के आगे कभी नहीं सुनते थे | रामकांत की स्त्री  बिलकुल ही रमाकांत के पिता और उनके भाईयो को पसंद नहीं करती थी | 

उसने पहल ही रमाकांत को मना कर रखा था | तुम अपने पिता के लिए कुछ नहीं करोगे | रमाकांत अपनी पत्नी के अलावा किसी की नहीं सुनता था  |
आज रमाकांत को अपने पिता याद आ रहे थे | जब वो खाट पर पड़ा था | उसेक बेटे उसको छोड़ के जा चुके थे | उनकी पत्नी भी बीमार ही थी | उन्हें खाने को खाना तक नहीं था | रमाकांत अभी सोच में ही थे | तभी उनका छोटा बेटा आया ..... वो आने एक साथ ही बोल पड़ा ...आपकी और माँ की तबियत तो ठीक होने वाली नहीं |  अपने गुजरने से पहले ......ये जमीं मेरे नाम कर दो | वैसे भी ये दादा जी की है .............आपकी तो है भी नहीं , तो अधिकार आपका बनता भी नहीं ....आपने आज तक किसी के लिए तो कुछ किया नहीं |

रमाकांत   कहना चाहता था ,, हाँ नहीं किया मैंने  किसी के लिए कुछ ....लेकिन अपने पुत्रो के लिए तो किया ही है | लेकिन वो बोल नहीं पाया | रामकंत का छोटा लड़का चला गया |

..............दरवाजा जोर से बजा ..रमाकांत अब जाग गया था | लेकिन समय उसका सो गया था | रमाकांत अब मुस्कुरा रहा था ,, और अब वो कुछ नहीं बोल पाया | उस मकान में सिर्फ सन्नाट था | पाप का तांडव था ...............और दो कराहती हुई आवाज थी |  

 

अंकित तिवारी  


 

Wednesday, May 26, 2021

सहायता सिर्फ ........पैसो से या कोइ वस्तु के आदान -प्रदान से की जा सकती है | सत्य है ,, किन्तु पूर्ण सत्य नहीं है |

 सहायता 

 

 


सहायता कैसे करे ....लोगो के मन में एक भ्र्म घर कर गया है | 

सहायता सिर्फ ........पैसो से या कोइ वस्तु के आदान -प्रदान से की जा सकती है |
सत्य है ,, किन्तु पूर्ण सत्य नहीं है |

हम किसी प्यासे को पानी पिलाकर भी सहायता ही करते है | किसी पढ़ने वाले बच्चे को पुस्तक देकर भी हम उसकी सहायता करते है | हम अपनी  माँ की सहायता रसोई घर में करते है |राशन की लिस्ट बना के भी हम घर की गृहणी की सहायता करते है |


अपने पत्नी की भी सहायता भी हम कुछ इस प्रकार ही करते है | कभी उसके काम में हाथ बटा  के कभी उसके लिए चाय बना के प्यार जता के  और ऐसे कई तरीके है जिससे हम अपना प्यार जता सकते है और सहायता भी कर सकते है |

इसके लिए हमें किसी वस्तु से सहायता करने की जरुरत नहीं |

किसी भूले -भटके को मार्ग दिखा कर भी हम सहायता कर सकते है | किसी भूखे को भोजन करा कर भी हम सहायता कर सकए है |





हमने तो कर ली सहायता की ढेर सारी बातें ............लेकिन स्वम् के सहायता की बातें तो की ही नहीं ......आईये दोस्तों एक कहानी के माध्यम से इसे समझते है ..............कैसे स्वम् की सहायता से अधिक बुद्धिमान बना जा सकता है ...तथा जीवन में सफलता पाई जा सकती है ||

इसके लिए आप सभी को एक छोटी सी कहानी सुननी पड़ेगी | 


एक गिलहरी थी ,, वो बारिश के मौसम से पहले ही अपने लिए खाने का सारा सामान इकक्ठा  कर लेती थी | जब वो अपने लिए खाने का सामान इकक्ठा  कर रही होती थी , तब वो जंगलो , पहाड़ो , झरनो से भी गुजरती थी , वो पथरीले रास्तो में खुद को बचाने का यथा संभव प्रयाश करती थी | वो दिन रात मेहनत करती थी | इन रास्तो से गुजरने के कारन उसे जंगलो और पहाड़ो के सारे रस्ते पता थे | रोज -रोज उसके लिए भोजन इकक्ठा करना आसान हो रहा था | इसके साथ ही ....उसे रहने के लिए सुरक्षित जगह भी मिल जाता था ...जहां वो ठहर कर अपने भोजन को अच्छे से इकक्ठा कर पाती थी |

कहने का अर्थ है :- आप जितना खुद की सहायता करेंगे उतना ही ...........आप परिस्थितयो को समझने के लायक होंगे | अन्यथा ना हम खुद की स्थिति को और दुसरो की स्थिति को समझने के लायक होंगे .... न दुसरो के कर्मो का आदर करेंगे |
तो स्वम् की सहायता पहले करे ...........ताकि आप समझ पाए दुसरो को भी | 

 

 

 अंकित तिवारी  

 


 

 

 

Sunday, May 23, 2021

भूखा पेट तो भईया ,, एक दिन खुद को ही खा जाता है ||

 मैं तो गधा हूँ 

 

 मैं तो गधा हूँ,, मेरा क्या है  ?.........एक पूँछ है,, दो कान हैं  .....मुँह नाक सब एक में ही है ..........खोलता हूँ थोबड़ा,, तो मुँह दीखता है 


नहीं खोलता तो नाक दिखती है ...........दाँत मेरे करीने   से लगे हुए है ...........मोतियों जैसे ............वैसे ये मोती जरा बड़े है ...........हीईई ..............आइईईई देखो हैं ना |

मुझसे ज़्यादा काम कोइ न करता होगा ...............सुबह उठता हूँ ,, फ्रेश होने के बाद ..............थोड़ा मुँह चला के ............थक जाता हूँ  ..........मालकिन बहुत हैवी खाना बनाती   है ............बटर लगा के ..............मजा आ जाता है कसम से ....

 

लेकिन पचाना भी तो होता है | 

कभी -कभी तो मालिक की गालियां और लात खाके ही सारा बटर पच जाता है ||
कभी -कभी तो पेट भी भर जाता है ..........मालिक की गालियां खाके ..........कसम से बहुत मस्त गालियाँ बकता है ,, दारु लेके |



ये दारु लेके सब मेरी बिरादरी के हो जाते है ........या यूँ कहूं उससे भी ज्यादा मूरख ...............कहे की मैं कहाँ गालिया बकता हूँ |


दिन भर मुहँ चलाता हूँ ...............लेकिन गालियाँ नहीं बकता |
लेकिन मुझे क्या .............मैं तो गधा हूँ |

कल अपने मालिक को दारु पीके....... अपने नौकर को डाँटते हुए देखा ............कलेजा मुँह को आ गया ..........फिर अंदर कर लिए ..................अरे भाई दिन भर मुँह चलाता रहता हूँ .......क्या पता भूका पेट हो ,, कही खुद ना खा जाऊँ  ||

भूखा पेट तो भईया ,, एक दिन खुद को ही खा जाता है ||

वैसे मेरी बिरादरी के लोग .........हर जगह पाए जाते है ......मैं तो बस एक प्रजाति हूँ ,, जिसे लोगो ने मुर्ख बना दिया है .............लेकिन मैं हूँ नहीं ||

अब देखिये ना ,, मैं कहाँ कोइ गधो वाले काम करता हूँ ..............मेहनत करता हूँ  ,, पेट भरता हूँ अपना ..........बाकि तो बस राम जी की ईक्षा ||

बाकि आपको गधो के काम बता दूँ मैं |

सड़को पे लोगो को मरता हुआ देख के .............उन्हें हॉस्पिटल पहुँचाने  के स्थान पे ........मोबाइल से विडिओ बना रहे होते है |

माँ को सिर्फ मदर -डे पे याद करते है |

अपनी झूटी शानो -शौकत के लिए किसी की भी बलि चढ़ा देते है |
झूट,  फरेब , धोका ..... सब जानते है ......................ये जानवर है | 

लेकिन भाई हमें क्या ?  मैं तो गधा हूँ |

मैं गधा हूँ ,, फिर भी नमक का कर्ज़ अदा कर देता हूँ  ..........................ये भी गधे है ,, मेरी नाक कटा रहे कम्बख़त  ||

कल ही देखा ,, मेरे पड़ोस का ...........एक गधा ...............रिक्से पे बैठ के आया .........और रिक्से वाले को पैसे देने में आना -कानि करने लगा |   बताओ ............इतने प्रश्न सिर्फ इनसे ही क्यों ?  बड़े लोगो से भी प्रश्न पूछो |
जाने कितने चारे खाते है रोज .................||

 

 राजनीति में तो भरे पड़े है .............मेरी नाक कटाने वाले ........कम्बख़त के मारे |
जनता भी वहीँ है ............गधो को कुर्सी पे बिठा रही है |
अपना देखो मस्त ...........चार टांग फैलाये पड़े है |

मालिक आवाज लगा रहे है, अपने बेटे को ......................सुनता नहीं है .......गधा कहीं का ||



लेखक :- अंकित तिवारी
सहलेखिका :- प्रिया मिश्रा 

 


 

Saturday, May 22, 2021

 छोटी -छोटी बातें (लघु कथा )


एक व्यक्ति अपने जीवन से दुखी होकर ..जीवन का त्याग करने जा रहा था ,, अभी वो नदी में छलांग लगाने ही वाला था की ....एक साधु ने उससे कहा .........क्यों नदी में छलांग लगा रहे हो ...........व्यक्ति  बोला ..मेरे दुःख के दिन ख़तम ही नहीं होते
मैं तंग आ गया हूँ इन सब से ...........अब मैं मर के भगवान् के पास जाना चाहता हूँ और उनसे पूछना चाहता हूँ ...की मैं ही क्यों ..
मुझे ही सारे कर्म क्यों भुगतने पड़े है |

 

साधु मुस्कुराये और उस व्यक्ति से बोले ...........अच्छी बात है .........मिल लेना भगवान् से ........लेकिन उससे पहले हमें ये बताओ .....कहाँ से आ रहे हो .........उसने अपने गावँ का नाम बताया ......फिर साधु ने पूछा ....तुम्हारे घर में कितने सदस्य है ...
व्यक्ति बोला ..... तीन सदस्य है ,, मेरे घर में ...........एक मैं , मेरी पत्नी और मेरी एक बेटी है ......||

साधू ने पूछा ,, तुम्हारी पत्नी क्या पत्नी धर्म निभाती है ?
व्यक्ति ने उतर दिया ,, हाँ वो संसार की सबसे अच्छी पत्नी है ..........मेरा पूरा ध्यान रखती है ........जब मैं काम पे जाता हूँ तो तो घर का ध्यान रखती है ........बड़ी शुशीला पत्नी है मेरी |

साधु ने पूछा और तुम्हारी बेटी कितने वर्ष की है ? क्या वो तुम्हारी बात मानती है ? 

 

व्यक्ति ने उतर दिया ,,  मेरी बेटी अभी सिर्फ दस वर्ष की है ...........लेकिन बहोत समझदार है ......... पिछले वर्ष जब मेरी फसल खराब हो गयी थी ....और पैसो की तंगी हो गयी थी तो ........मेरी बेटी ने किसी भी अन्यावास्यक चीज को जिद्द नहीं की ..... और मुझे ढाढ़स भी बंधाती थी ... की बापू सब ठीक हो जायेगा ,, बहोत ही अच्छी बेटी है मेरी ........पढने में बहोत होशियार है |

साधु ने पूछा और तुम्हारे मित्र कैसे है ? सब कुशल मंगल ?

व्यक्ति ने कहा....... हाँ मेरे सारे मित्र बहोत अच्छे है | वो समय पड़ने पर मेरी सहायता भी करते है ..........मैं भी अपनी मित्रता निष्ठा भाव से निभाता हूँ |

साधु ने कहा ,, अच्छी बात है |

फिर तुम यहां मरने क्यों आये हो ?

 

व्यक्ति ने कहाँ पिछले दो वर्षो से मैं बहोत परेशान हूँ ....पिछले वर्ष मेरी फसल खराब हो गयी ,, जिसके कारन मेरी बेटी की पढ़ाई का नुक्सान हुआ ..... घर की बदहाली आ गयी ......| इस वर्ष भी वही हुआ .......अब तो खाने के भी लाले है ...........रिस्तेदार मुँह फेर लेते है ....... अगर अपने परिवार को ही ना पाल पाऊँ तो जीवन का क्या मतलब ?

साधु मुस्कुराये और बोले ,, अभी तो तुम हो .......तो तुम्हारे परिवार को ना तुम्हारे रिस्तेदार देख रहे है ........ना कोइ और
तुमने सोचा नहीं तुम्हारे बाद इनका क्या होगा ?

 

जिस ईश्वर को देखने के लिए तुम मरना चाहते हो ... वो तो तुम्हारे साथ ही खड़े है .... तुम्हारी पत्नी के रूप में ... तुम्हारी बच्ची के रूप में ........तुम्हारे खेत के रूप में ......जल के रूप में  तुम्हारे रूप में |

परस्थितियाँ अनुकूल नहीं तो ...ईश्वर से मिलना....... परिस्थितियां अनुकूल थी तो कभी सोचा था ........ईश्वर कौन हैं , क्या है ?
उनसे कैसे मिला जा सकता है ?
नहीं ,, कभी नहीं सोचा था ........बस अपने जीवन में खोये रहे ....आज जब .... मुसीबत है तो ईश्वर को ढूंढ रहे हो |

तुमने कभी भी ...अपनी पत्नी के प्रति आभार प्रकट किया ..........अपने बच्ची के प्रति ,, अपने दोस्तों के प्रति ............ वो सब तुम्हारे ईश्वर है ........उनका आभार प्रकट करना सीखो |


व्यक्ति अपने कर्म पर लज़्ज़ित हुआ और साधु को प्रणाम कर वहाँ से घर की और चला गया ||

इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है की ,,
 
जो तुम्हारे बुरे समय में तुम्हारे साथ खड़े रहे वो ईश्वर है ..उनका आभार प्रकट करना कभी ना भूले |


लेखक :- अंकित तिवारी
सहलेखिका :- प्रिया मिश्रा 

 


 

Wednesday, May 19, 2021

क्रोध एक समस्या ............उस से बचने के उपाय ..........क्रोध प्रबंधक का योगदान ..उससे होने वाले लाभ ........और कुछ हानियाँ

क्रोध उसके दुष्परिणाम ..............उसके बचने के कुछ उपाय 

 

क्रोध या गुस्सा आना एक आम समस्या है ......लेकिन अत्यधिक गुस्सा का आना ..............जीवन को प्रभावित कर सकता ..........
मेरा ये ब्लॉग ...............आप सबकी मदद करेगा ...............||
सामन्य रूप से गुस्सा का आना कोइ खतरे की बात नहीं ..........परन्तु ,, इसका बढ़ना बहोत ही खतरनाक है ||


कारन हो सकते है ||

 
दुर्व्यवहार
चिड़चिड़ापन
यौन शोषण
डिप्रेशन
बच्चे का जिद्दी होना
उपेक्षा
घर का वातावरण 


और भी कई कारन है ..........लेकिन हम इन प्रमुख करने पे अपने ब्लॉग में चर्चा करेंगे | उसके बाद हम क्रोध प्रबंधक के बारे में कुछ जानकारी हासिल करेंगे .............||
 

 



 

सबसे पहले क्रोध और क्रोध के परिणामों को समझना अनिवार्य है। 

 

 गुस्सा बिल्कुल सामान्य है। यह विभिन्न स्थितियों की प्रतिक्रिया है। गुस्सा होना तो ठीक है लेकिन जब यह गुस्सा तीव्र हो जाता है, तो बार-बार बड़ी समस्या हो सकती है। परिवार, रिश्तों, काम में समस्याएं और यह स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

 जो लोग अपने गुस्से को सकारात्मक तरीके से प्रबंधित करने में असमर्थ हैं, वे अपने क्रोध को अन्य स्थितियों जैसे कि बच्चे और पति-पत्नी के दुर्व्यवहार, हिंसक अपराधों और अन्य प्रकार की लापरवाही में स्थानांतरित करने की संभावना रखते हैं।

  क्रोध-उत्तेजक स्थितियों के सभी प्रकार हैं,  कुछ लोग निराश होने पर पागल या क्रोधित हो जाते हैं, जब कुछ योजना के अनुसार काम नहीं करता है या वे अपना सब कुछ देने के बाद भी सफल नहीं हो पाते हैं, तो ऐसी परिस्थितियाँ व्यक्ति को निराश कर सकती हैं। 

यह निराशा क्रोध को जन्म दे सकती है जो बाद में नकारात्मक परिणामों की एक पूरी सूची में बदल सकती है। 

 

 चिड़चिड़ापन

चिड़चिड़ापन क्रोध को भड़काता है। लगातार अनुस्मारक या नियमित रुकावट जैसी दैनिक घटनाएं किसी व्यक्ति को चिड़चिड़े होने का कारण बन सकती हैं। यह जलन लगातार बढ़ती जा रही है और परिणाम अचानक क्रोध का पात्र है।

 

 यौन शोषण

 व्यक्ति के आधार पर यह क्रोध व्यक्ति को अपने क्रोध को दूर करने के विभिन्न तरीकों का सहारा ले सकता है, जिनमें से कुछ स्वयं के लिए और दूसरों के लिए दर्दनाक हो सकते हैं। जब किसी व्यक्ति को मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया जा रहा है, शायद यौन शोषण किया जा रहा है, तो ये स्थितियां क्रोध को भड़काती हैं।

 

 दुर्व्यवहार

 लोग इन परेशान करने वाले अनुभवों से अलग तरह से निपटते हैं लेकिन जो लोग दुर्व्यवहार के कारण क्रोधित हो जाते हैं, उनके लिए परिणाम बहुत गंभीर, यहां तक ​​कि हिंसक भी हो सकते हैं। 

 गलत व्यवहार किया जाना अक्सर क्रोध की भावनाओं को भड़काता है। अक्सर लोगों को चीजों के लिए दोषी ठहराया जाता है, चाहे वे जरूरी हों या नहीं, इससे उन्हें गुस्सा आ सकता है । 

 

  डिप्रेशन

 

 डिप्रेशन एक प्रमुख कारन हो सकता है किसी व्यक्ति के क्रोध आने का ..............डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है जिसमे व्यक्ति
उदास सा महसूस करने लगता है | व्यक्ति का का किसी कार्य में मन न लगना , अपनी रुचियों के प्रति उदासीनता , अकेले में वक़्त बिताना , चिड़चिड़ापन , क्रोध , अनावस्यक सोच , ये सब डिप्रेशन के लक्षण हो सकते है |

 

 उपेक्षा 

 

 किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित करना भी उसके क्रोध का कारन हो सकता है | मनुष्यो से मनुष्यो की तरह ही व्यवहार करे|

 हम सामान्यत एक व्यक्ति की तुलना दूसरे व्यक्ति से करने लगते है | हमें ऐसा नहीं करना चाहिए ...........क्योकि मछली हवा में नहीं उड़ सकती और चिड़ियाँ पानी में नहीं तैर सकती | तो हर व्यक्ति से उसकी क्षमता के अनुसार काम लेना सीखे ......ना की उसकी उपेक्षा करना || 

 


घर का वातावरण


हमारे जीवन में ..माता -पिता और घर का बहोत बड़ा योगदान है | अगर हम घर के वातावरण में सकारात्मकता लाये तो  कई हद तक  ......क्रोध को एक भयानक बीमारी बनने से रोका जा सकता है ||

 

 

क्रोध प्रबंधक क्या है और कैसे कार्य करता है ?

 

 क्रोध प्रबंधन की बहुत सारी प्रासंगिक जानकारी है। सबसे पहले क्रोध और क्रोध के परिणामों को समझना अनिवार्य है। क्रोध प्रबंधन यह जाने बिना काम नहीं करेगा कि यह एक व्यक्ति क्या है जिसे बदलने या प्रबंधित करने का प्रयास किया जा रहा है। गुस्सा बिल्कुल सामान्य है। यह क्रोध प्रबंधन जानकारी एक ऐसी चीज है जिस पर किसी व्यक्ति को विचार करना चाहिए कि उन्हें कोई समस्या है।

 

 क्रोध प्रबंधन  और क्रोध प्रबंधक से लाभ -हानि

 

क्रोध प्रबंधन के लिए समर्पित कई वेबसाइटों के साथ, यह क्रोध, क्रोध के परिणाम, क्रोध से प्रभावित लोगों और क्रोध प्रबंधन जानकारी से संबंधित आवश्यक आवश्यक जानकारी प्रदान करने में बहुत कुशल है। उचित क्रोध प्रबंधन जानकारी के बिना, उपचार का एक कोर्स शुरू करना मुश्किल होगा जो फायदेमंद होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्रोध प्रबंधन की जानकारी कहाँ से आती है। हालांकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति उन्हें दी गई जानकारी के साथ क्या करता है। जानकारी को पढ़ना और उसका अध्ययन करना आवश्यक है लेकिन इस जानकारी का क्या करना है, यह तय करने से क्रोध से संबंधित मुद्दों को हल करने में फर्क पड़ेगा या नहीं।

 चूँकि आज समाज में क्रोध प्रबंधन एक बड़ी समस्या प्रतीत होती है, इसलिए कई कार्यक्रम विकसित किए गए हैं, किताबें लिखी गई हैं, इंटरनेट वेबसाइटें बनाई गई हैं और क्रोध प्रबंधन फिल्में फिल्माई गई हैं। हालांकि यह सभी सहायता किसी के लिए भी उपलब्ध है, लेकिन क्रोध की समस्या वाले सभी लोगों को एक ही स्रोत से लाभ नहीं मिलता है। कुछ लोगों के लिए क्रोध प्रबंधन कार्यक्रम में भाग लेना प्रभावी हो सकता है और उनके व्यवहार में बड़े बदलाव ला सकता है। एक किताब के साथ अकेले चोरी करने में सक्षम होना क्रोध के मुद्दों वाले व्यक्ति के लिए मददगार हो सकता है। उनकी समस्याओं को प्रिंट में देखना और उन्हें अपने दिमाग में हल करने में सक्षम होना एक महान क्रोध प्रबंधन उपकरण हो सकता है। क्रोध प्रबंधन के संबंध में इंटरनेट एक महान स्रोत है और कुछ को विभिन्न साइटों को देखने और क्रोध प्रबंधन के मुद्दों वाले व्यक्तियों के बारे में कहानियां पढ़ने में मदद मिल सकती है। हालाँकि, कई लोगों के लिए जिन्हें अपने गुस्से को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है, एक क्रोध प्रबंधन फिल्म देखना उनके गुस्से के प्रकोप के पैटर्न से बाहर निकलने के लिए आवश्यक हो सकता है।

 

 

 क्रोध प्रबंधक के अलावा ..........और भी  प्रकार से हम क्रोध को रोक सकते है ...........बिना किसी की सहायता के |


योग
मैडिटेशन
अपनी रूचि  के कार्य को करके

मन में जितने की इक्षा हो तो  तो किसी भी सत्रु से लड़ा जा सकता है और जीता जा सकता | लेकिन उस से पहले हमें अपनी कमियों को अपना सत्रु मानना होगा |

कई वर्ष बीत गए
मैं ,, आज भी बाट जोहता हूँ
उनकी ,,
जो छोड़ गए
मुझे अकेला ....
क्या करे ?
मेरी नादानियाँ
कब तक कोइ माफ़ करे
कभी तो
हम खुद को
दोषी माने
चहरे तो रोज साफ़ करते है
कभी खुद का दिल भी तो साफ़ करे ||


ब्लॉग पढ़ने के लिए आप सभी का शुक्रिया |
धन्यवाद

अंकित तिवारी 

 


 

 

 

 बच्चों के विकास  में माता -पिता का योगदान 


आजकल एक समस्या प्रत्येक माता -पिता के मन में घर कर गयी है ..........की कैसे अपने बच्चे को .........सबसे ऊपर पायदान पे लाये ..............कैसे हमारा बच्चा ..............टोपर की श्रेणी में आये ..............उनका ध्यान इस बात पे रहता ही नहीं है ............की बच्चे की खुसी किसमे है ................वो कैसे अपने आप को बिकसित कर सकता है  ..............बच्चे की मानसिकता को बिना जाने .............हमारे आज -कल के माता पिता निर्णय लेने में महारत हासिल कर चुके है ..................आईये इस बीमारी से ..............हमारे माता -पिता को निकाले   और एक बेहतर .............भारत के निर्माड में ...............अपना योगदान दे ......

कुछ सुझाव .................आपके अपने बच्चों के लिए ............पढ़ने के लिए शुक्रिया ||


 

 

दुनिया भर में लाखों माता-पिता के लिए दिन का अंत स्कूल की घंटी के साथ नहीं होता है। अभी भी चित्रों को चित्रित किया जाना है, गाने गाए जाने हैं और खेल खेले जाने हैं। यह सब बच्चों को खुश, सुरक्षित और परेशानी से बाहर रखने में मदद करता है। 

 

लेकिन, माता-पिता को ओवरबोर्ड जाने से बचना होगा। स्कूल के बाद बेबी सिटिंग नहीं है: स्कूल के बाद की गतिविधियाँ तभी फलती-फूलती हैं जब इसमें पर्याप्त माता-पिता की भागीदारी हो। माता-पिता के बिना अपने छोटे नायकों को किनारे से खुश किए बिना एक सॉकर मैच क्या होगा?

 

 अनुसंधान करें और चुनें: सुविधा के बजाय निर्णायक कारक होने के बजाय, उन चीजों का पता लगाएं, जो आपके बच्चे को रुचिकर लगे। एक बार जब आप एक कार्यक्रम का चयन कर लेते हैं, तो ठीक प्रिंट प्राप्त करें और पता करें कि आपको क्या योगदान देना है।

 

 खाली समय: कई बच्चे पियानो कक्षाओं में भाग लेते हैं, उसके बाद बैले और कुछ समय के बीच में खेलने की तारीखों के लिए निचोड़ते हैं, इससे पहले कि वे बिस्तर पर समय पर घर जाते हैं। यह कठोरता एक बच्चे के लिए बहुत अधिक है।

 तो, धीमे चलें। 

 

 

 कब छोड़ें: अक्सर, माता-पिता यह पता लगाने के लिए अपने बच्चे को एक गतिविधि में नामांकित करते हैं कि वह वह विलक्षण नहीं हो सकता है जो उन्होंने सोचा था कि वह होगा। यह जाने देने का समय है। हो सकता है कि आपका बच्चा अगला वंडर-किड न बने। लेकिन, उसे वह रुचि पैदा करने दें जो उसे पसंद है। याद रखें, खुशी और तृप्ति ही सब कुछ है।

 

 बेहत आभार आप सभी का .................मेरे एक ब्लॉग से किसी एक बच्चे को उसकी खुसी प्राप्त होती है तो ...............मेरा लिखना सार्थक है ....................आप सब माता - पिता से अपील है ...................आपका बच्चा आपके लिए ईश्वर का वरदान है .................इसे देवतुल्य समझ कर ही इनका ललन -पालन करे ||

आज के बच्चे कल का भारत है ...............तो अपने देश को मजबूत बनाये ||

धन्यवाद ||


अंकित तिवारी :)) 

 


 

Tuesday, May 18, 2021

अभी शाम नहीं हुई है

 

  राधा :- कृष्णा ,, शाम हो गयी है ,, मेरे जीवन की शाम हो गयी है ...........|

लतिका :- अभी शाम नहीं हुई है राधा ,,  शाम तब होती है ...........जब सुबह होती है .............फिर दोपहर ..........उसके बाद शाम होती है ................तुम्हारे जीवन में तो सूरज ही नहीं आया राधा | 



राधा :- तभी तो ,, शाम हो गयी है .........अब घोर अँधेरा आएगा ...............फिर सब कुछ ख़तम हो जायेगा ...............मैं सायद सूरज देख ही न पाऊँ |

लतिका :- नहीं राधा ,, तुम्हारा सूरज सिर्फ तुम्हारा है ..............उसे बादलो से छीन के ले आवो ................वो डूबा नहीं है  
              बस ,, छिप गया है |



राधा :-  मैं खुद ही ..... ग़ुम गयी हूँ ,, लतिका ................कैसा संसार है यह ......?
           अभी कल की ही बात है ..................सड़क पर पड़े ..........मानव ने जाने कितनी ही बार पुकार लगाई होगी ............


           कोइ नहीं आया ................वो ...........जख्मी हालत में पुकार रहे थे ,, कोइ नहीं आया ..............|
           उन्होंने आखरी साँस ली ,, जिसकी विडिओ वायरल हो रही है |
               ऐसे अपनों की मरने की कौन विडिओ बनाता है |

             क्या हो गया है इस संसार को ............इस मानव जाती को | कहाँ जा रही है ये अपनी पीढ़ी ?
            आज मेरे जीवन का जो सूरज डूबा है ,, उसको फिर से प्रकाशित करने में कौन आगे आएगा
             कोइ नहीं आएगा | मानव तो चले गए |


 लतिका :-  कोइ नहीं आता है ,, राधा .............ये समाज सिर्फ .............. हडियों की चूल्हा जला के .......मांस खाना जानती है
                इनका कोइ मजहब नहीं कोइ ,, देवता नहीं ................ये खून की होली खेलते है ....................


                लेकिन तुम्हे तो खड़ा होना होगा .............हमें खड़ा होना होगा ...............ताकि आने वाले समय में एक और मानव
                  इस निर्ममता का शिकार न हो 

.....................मनुष्य जाती में प्रेम तो जगाना  हो होगा ना |

 राधा :- हाँ लतिका ,,जगाना   तो होगा .............लेकिन हमारे जगाने से कोइ जागेगा ..........कौन जागेगा ..........किसको पड़ी है ?
            यहां सब अपनी बारी का इन्तजार कर रहे है .................... अभी कहाँ कोइ अपने आँगन में तुलसी लगता है
           सबको तुलसी सिर्फ गंगा घाट में नजर आती है ..............और तभी जरुरत भी महसूस होती है  |

 तो मै अकेले अपने     आँगन में कैसे एक नन्हे से तुलसी के पौधे से ..............एक अयोध्या बनाउंगी  ...............बन भी गया तो 


तो राम कहाँ से लाऊंगी ............बता ना लतिका राम कहाँ से लाऊंगी | 

 

 लतिका :- राम आएंगे राधा .................. तुम बस एक दीप जलाओ.............. राम अवश्य आएंगे,,  अभी शाम नहीं हुई है ||


 ANKIT TIWARI

 

फ़ैल

 

 संवाद  

रागिनी :-  तुम्हे डर नहीं लगता किसी को खोने से 



स्वांग :- नहीं ,, और मैंने किसको खोया है 



रागिनी :- मुझे ,, मुझे खोया हैं तुमने 



स्वांग :- तुम्हे पाने की  की अभिलासा ही कब थी ?



रागिनी :- तो वो सब बातें ,, सिर्फ बातें थी |



स्वांग :- तुम जो समझ लो |



रागिनी :- इतना बड़ा कोइ झूट कैसे बोल सकता है ?



स्वांग :- झूट ..........कैसा झूट ?



रागिनी :-वो तुम्हारे वादे ?



स्वांग :- कहा तो था ............बस गिर्ल्फ्रेंड् बन के रहना ..... तुमने बीवी बनने की इक्षा जाहिर कर दी |



रागिनी :- बीवी बनाने की इक्षा तुम्हारी थी मुझे .........अब बात पलट रहे हो |



स्वांग :- तो तुम बातों में आ कैसे गईं ?
            तुम्ही ने तो कहा था ,, मुझे तोडना आसान नहीं है ..............फिर कैसे टूट गयी तुम 



रागिनी :- ओह्ह्ह ,, तो ये बात रही ,,, तुम मेरी परीक्षा लेने आये थे ............मैं तो पास हो जाउंगी ....लेकिन तुम फ़ैल हो रहे हो |

              तुम जीवन के हर इम्तहान में फ़ैल हो रहे हो ...........अपने वादे में फ़ैल ,, अपने शब्दों के मान में फ़ैल .........और
               बनाने के नाटक में फ़ैल ||



स्वांग :-  मैं कही फ़ैल नहीं हुआ ......तुम्हे लगता है |



रागिनी :-  हाँ ,, तुम्हे क्यों लगेगा .......याद रखना बस इतना .................आने  वाला वक़्त  पलट कर तुम्हे जवाब देगा
               दग़ा कभी ..........किसी को रास नहीं आती .|   
               तुम मेरे गुरु हुए ............मुझे जीवन का इतना बड़ा ज्ञान दिया ..................मैंने तुम्हे दक्षिणा देती हूँ |
               तुमसे हर  स्त्री .............को नफरत होगी ...........अपने जिस अभिमान में .........तुम्हे लोगो के खोने का डर नहीं रहा वही ........अभिमान तुमसे तुम्हारा सबकुछ ले लेगा ..||

जिस दिन तुम्हे .............लगे की तुम अकेले हो गए हो ..............मुझे याद करना ............और याद करना की तुम फ़ैल आज भी हो और तुम फ़ैल कल भी रहोगे |



तुम्हारे जैसे ह्रदय क्रीड़ा करने वालो को फ़ैल ही होना चाहिए || 

 


 

Monday, May 17, 2021

धूप में
झुलसता
एक
पथिक सा ... मैं

उस पथ
के किनारे लगे
किसी
बरगद के
पेड़ सी है ... वो

पल भर
बैठ
उसके क़रीब

मानो दिल
झूमने  सा
लग जाता है ..!!

 

 

अंकित तिवारी :))  

 


 

 

 

 

सुनते हैं जब जब तेरी मासूम सी बातें
मुझे मेरा बचपना ... याद आ जाता है .!!



अंकित तिवारी :)) 

 


इक तेरे आ जाने भर से मेरी ज़िंदगी बदल गई
मिरी उजड़ी बगिया इक बार फ़िर से खिल गई .!!

 

अंकित तिवारी :)) 

 


 

 

 

जिसका
ख़ून
अपनी
रग़ों में
लिए
घूमते हैं

उसको भी
लोग
ख़ून के
आंसू
रुलाने से
नहीं चूकते हैं .!!

 

 

अंकित तिवारी :))  

 


 

 

वो जो इस .. कठिन समय में भी .. न याद करें


वो काहे के अपने और काहे का अपना परिवार ..!!



अंकित तिवारी 

 

 


 

 

 

दुनिया के बचे रहने के लिए ज़रूरी है की

 प्रेम हो जाये

 कंक्रीट के शहरों में बसे लोगों को

 दूर तक फ़ैले खेत खलिहानों से .!!

 

 अंकित तिवारी 
 

कृष्णा 

 

 

 

 मेरी .... सारी की सारी खुशियाँ .... तू
मेरी .... सारी की सारी दुनिया बस तू

ओ ! नन्द के लाल ..... ओ ! मुरलीधर
मेरा तो अब सबकुछ है .. बस तू ही तू ..!!


अंकित तिवारी :)) 

 


 

 एक और जलता दिया (लघु कथा )

 



आज रमा शाम से उदाश थी ...............पिताजी के बीमारी का कोइ इलाज नहीं मिल रहा था ................सारे डॉक्टर ...........ना कर चुके थे......................कारन था .........रमा के पिता ने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी  |
रमा चवके में बैठ के ..............पथराई आँखों से ..............जलते चूल्हे को निहार रही थी .................कृष्णा ................कृष्णा उसके आत्मा की आवाज थी ..........................सदैव सुमिरन करने वाली आवाज आज रुंध गयी थी ........................आत्मा धीमे -धीमे हरे कृष्णा - हरे कृष्णा का जप कर रही थी .............................सब कुछ शांत था |

रमा का उसके पिता के सिवा और कोइ न था ..........................रमा कुछ भी कर के .............अपने पिता को ठीक करना चाहती थी ............................कुछ सूझ नहीं रहा था ..................सिर्फ कमरे में ..............कृष्णा ..............कृष्णा गूंज रहा था था .....................रमा का रोम -रोम ................डूबा था कृष्ण में ................और आँखे पिता को देख रही थी ....................

रमा ने बचपन में अपने नानी को देखा था ..........................उन्हें जब कोइ समस्या आती वो झट कृष्णा के पास एक दीपक जला उठती थी ...................और फिर वहाँ बैठ कर कृष्णा का जाप करना सुरु कर देती थी .........................रमा को तबसे कृष्णा भक्ति के अलावा कुछ न सूझता था 

........................रमा ने आज तक ईश्वर से कुछ न माँगा था ....................कोइ पूजा -पाठ नहीं की थी .................सिर्फ ह्रदय से कृष्ण -कृष्ण करती रहती .........................|
लेकिन आज रमा  ने नानी के कार्य को दुहराया ........................एक दीपक जला के ...........................कृष्णा -कृष्णा करने लगी .........................सारे कमरे में कृष्णा ..............कृष्णा गूंज उठा ...........................

उसेक पिता खाट पर पड़े -पड़े ये सब देख रहे थे ..............................अपनी बेटी को ऐसा करते देख .....................आस खो चुके पिता में भी ठीक होने की इक्षा जागृत हुई .....................................उन्होंने भी ...................मन ही मन कृष्णा , कृष्णा का नाम दुहराना सुरु किया .........................उनकी आत्मा अब जीवन चाहती थी ........................वो अपनी ईक्षा शक्ति को और प्रबल करते जा रहे थे ............................ऐसा अब रोज होने लगा .................और रोज -रोज रमा के पिता में जीने की  चाह जागृत होने लगी ..............लगभग दो महीने के ही  बाद ..................रमा के पिता के स्वास्थ में फर्क दिखना सुरु हो गया ...............रमा अब मन -लगन से कृष्णा भक्ति में लग चुकी थी ..................और सहाय सर (रमा के पिता ) अपनी बेटी की ईक्षा शक्ति को नमन कर .............खुद को रोज -रोज थोड़ा साहस दिखाते हुए............ एक वर्ष में ही .................अपने हालत में सुधार लेकर आये ||

कहानी का अर्थ :- ईश्वर भी उन्ही की मदद करते है ,, जो स्वम की मदद करते है ||
अपनी ईक्षा शक्ति को मजबूत बनाइये ..................और आगे बढिये ...............ईश्वर आपके साथ है ||


अंकित तिवारी :)) 

 


 

Sunday, May 16, 2021

 एक दीया प्रकाश का (उम्मीद ) अंजुरी भर प्रेम ...............देदो सबको .............तुमसे बड़ा आमिर कोइ नहीं ||

 

***

 

 बहोत मुश्किल दौर चल रहा है ..................हम सभी के लिए |

लोगो के पास काम नहीं है
खाने को खाना नहीं है
बीमार के पास दवाई नहीं है
पढ़ने वालो के पास किताबें नहीं है
कही कुछ बिखरा है ................कही कुछ बिखरा है ........................||

इस बिखराव को कैसे समेट ले .............हम सबको ये सोचना चाहिए .........कैसे एक उम्मीद का दीया जलाये.......किसी के होठो पे मुस्कराहट कैसे लायें .......आप भी सोचिये ..............हम भी सोचते है ||

वैसे मेरा विचार तो हमेसा से यही रहा है की .............प्यासे को अगर वक़्त पे पानी भी दे दीया तो आप किसी के उम्मीद का दीया है |

अपनी बेवकूफी भरी बातों से किसी के होठो पे मुस्कराहट लेकर आएं तो आप उम्मीद का दीया है |

किसी भटके राहगीर को राह दिखा दीया तो भी आप ........एक उम्मीद का दीया है |

अपनी पुरानी किताबो से किसी के जीवन में कुछ नया कर पाएं तो भी आप उम्मीद का दीया हैं |

किसी भूखे को एक वक़्त का खाना खिला दीया तो आप उम्मीद का दीया है |


सर्दियों में किसी के आँगन में आग की लौ बन जा
गर्मियों में किसी के आँगन में कुआँ बन नजर आ
किसी भूखे की रोटी बन जा ...........................
किसी अनपढ़ की शिक्षा बन जा .....................
जीवन बस इतना सा है ,, खुद भी मुस्कुराता रह ................दुसरो की मुस्कराहट की वजह बन जा ||

 

 किसी ने सच ही कहा है ............अगर आप किसी की मदद नहीं कर सकते है.......... तो आप गरीब है ................संसार के सबसे बड़े गरीब है ............||

अगर आप किसी के बुरे वक़्त में किसी के साथ नहीं तो आप न मित्र है न सत्रु ..............आप कुछ नहीं है ,, आप बस एक निर्जीव से हाड मांस के पुतले है ...........जिसकी धड़कने धड़क रही है .......................ताकि लाश सड़ने न पाए ............बाकि आप कुछ नहीं ||

तो अपने अंदर जीवन लाईये .................ईश्वर ने आपको मनुष्य बनाया है ,, पशुओ की भांति    व्यवहार न करे ..........||

ईश्वर ने सिर्फ मनुष्य को ही ये वरदान दीया है की वो ..............मनुष्य से देवता में परिवर्तित हो जाये .............या पशु में ||

आप क्या बनना चाहेंगे .........??
देवता
या
पशु

देवता बनेंगे तो ..........किसी के घर में एक उम्मीद का दीया जलेगा
पशु बनेंगे तो ............एक दिन आपको भी एक आदमजाद भेड़ियाँ खींच ले जायेगा .................ये संसार ऐसा ही है ............इसने कभी निम् की फली में आम के पौधो को जन्म नहीं दिया ||

आप कौन सा बीज लगाएंगे ....................
नीम
या
आम
सब आप पर निर्भर करता है ||


बचपन में मैंने एक कहानी पढ़ी थी .............


एक राजा था , उसके घर दर्जनों नौकर थे .........वो अपने नौकरो को कभी ..........इज़त से नहीं पुकारता था ...........||
एक दिन उसने हद ही कर दी ..........उसने अपने बावर्ची को ................सबके सामने भला बुरा कह दिया | बावर्ची चुप रहा ......उसने पलट कर जवाब नहीं दिया............और चला गया .............||

दिन गुजरता गया ..............एक वर्ष  राजा के राज्य में  सूखे की समस्या आ गयी ..............धीरे धीरे ये समस्या बढ़ गयी | सब लोग गांव छोड़ कर जाने लगे ...................धीरे -धीरे पूरा गांव ख़ाली हो गया |   
अब राजा के पास न नौकर बचे ना राज्य ............राजा अब खुद लाचारी का शिकार हो गया ................अब उसे दो वक़्त की रोटी के लिए सोचना पड़ गया .................| राजा ने कुछ कार्य करने की सोची ............राजा काम की तलाश में इधर- उधर भटकने लगा ............एक दिन वो अपने पुराने बावर्ची से टकराया .............बावर्ची राजा को पहचान गया ...............राजा की हालत से वो पहले से ही अवगत था | बावर्ची ने राजा का राजा की तरह ही स्वागत किया .............उन्हें खाना खिलाया और अपने खेत का एक टुकड़ा .........दीया ताकि वो कुछ काम करके .............अपना और अपने परिवार का पेट पालन कर सके |
राजा के पास शब्द नहीं थे ...................वास्तव में राजा बावर्ची था ||

दिन कभी पलट सकते है किसी के भी ...............................तो शब्दों के चुनाव में थोड़ी नरमी रखे |


उम्मीद का दिये में प्रकाश होना चाहिए .................आग नहीं जो किसी के मान -सामान को जला दे |
सब कुछ ईश्वर का दीया है ..........................तो उन्हें ही समर्पित कर दे ..........................थोड़ा आप खाएं थोड़ा दुसरो को दे ..........खुस रहे ..............................लेकिन किसी के लिए सहारे की लाठी ना बने .................वो आत्मनिर्भर बने ये भी ध्यान रखे .....................

आप सभी उम्मीद का दीया है .................आप अपना और अपने अपनों का ध्यान रखे ||
खुस रहे ................................................||

दोस्त ,,
जीवन बस आज भर का है
कल किसने देखा है

तो आज जश्न मना  लो
कल ,, जाने सबेरा
हो ना हो ..........

दो मीठे बोल बोलो
और सबको गले लगा लो ||

 

 अंकित तिवारी 

 


 

 

संसद भवन में स्थापित सेंगोल का क्या इतिहास है ?(पांच हजार पूर्व का इतिहास )

पीएम नरेंद्र मोदी जी का एक और ऐतिहासिक फ़ैसला जिसने हमारे पूज्य प्रधानमंत्री जी के गौरव के साथ - साथ भारत के भी सम्मान को भी बढ़...