Tuesday, November 3, 2020

मैं तुम्हें

देना चाहता था

उतना प्रेम

हैं जितने इस

धरा पर वन उपवन


सुनो!

मैं तुमसे चाहता था

बस उतना सा प्रेम

जितना उन घने वनों में

होती है दो दरख़्तों

के बीच थोड़ी सी जगह

बस सूरज की एक

किरण आने के लिए

जिससे मिलता रहे

जीवन उन दरख़्तों को.!!

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