Saturday, November 7, 2020

देह!

न .. न .. उसकी

जगह तो सबकी

तरह हमें भी

मालूम है

एक रोज़ मिल

ही जाना है

इसको मिट्टी में


चिंता रहती है

हमें तो

इस देह में मौजूद

रूह की

जिसे मैं

आज तक कोई

घर न दिला सका

जहाँ ये रह सकती

युगों युगों तक .!!

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