पतझड़ में
उजड़ चुके
किसी दरख़्त पर
जैसे कोई
मलिन कपड़ा
आ फसता है न
जो न कभी उड़ता है
न ही कभी गिरता है
कुछ उसी तरह
तुम्हारी यादों को
मैंने टांक लिया है
अपनी रूह से
विरह अश्क़ों की सुई धागे से
जो इस शरीर के मिटने तक
मेरी रूह में उलझी रहेंगीं .!!
पीएम नरेंद्र मोदी जी का एक और ऐतिहासिक फ़ैसला जिसने हमारे पूज्य प्रधानमंत्री जी के गौरव के साथ - साथ भारत के भी सम्मान को भी बढ़...
No comments:
Post a Comment