Thursday, December 3, 2020

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मालूम है एक मुलाक़ात की हमारी फ़रमाइश बेमानी है

तुमसे मिलने की गर्मजोशी भी अब फ़ीकी पड़ने लगी है


हिसाब रखो तुम की हमने कितनी रातें जाग कर गुजारी है

तुम आना क़रीब .. तुमसे हर रात का हिसाब लेना बाक़ी है..!!

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