रहती हो........तुम.......मुझमें.......कुछ ऐसे
रहते हैं...शिव...काशी के कण कण में....जैसे
अंकित तिवारी
ओ! इश्क़ करने वालों...........कभी प्रेम करके देखो
अपने प्रेयसी को कभी....बेटी की तरह चाह कर देखो..!!
अंकित तिवारी
तेरी आँखें..........जैसे चौखट........पूजाघर की
घर से निकलते वक़्त....चूम लेता हूँ....तेरी आँखें...!!
अंकित तिवारी
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