अब तो उनकी बातें भी अगर लफ़्जों पे आती हैं
मेरी तो मानो ... जैसे .. धड़कनें ही रुक जाती हैं..!!
खा के कसम ओ माँ तेरी मिट्टी की
बढ़ चला हूँ .. तेरी मिट्टी की शान में
काट दूंगा हर उस सर को .. जो
उठेगा ख़िलाफ़ मेरे देश की शान में
बढ़ चला हूँ .. सर पर क़फ़न लिए
ओ मेरी मां ! तेरे तिरंगे की शान में..!!
अंकित तिवारी
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