Friday, May 14, 2021

 अपनी सोचने का तरीका कैसे बदले 

 

 

 ऐसे वक़्त में जब सभी जगहों पे .......चीत्कार मची हो ,, कुछ अच्छा कैसे सोचे .............किसी के प्रति कुछ अच्छे भाव कैसे लाये

बहोत मुश्किल है ,, लेकिन दोस्त नामुमकिन नहीं है  ||

 

 मुश्किल समय तब भी था ,, जब अर्जुन महाभारत का यूद्ध लड़ने गए थे | अर्जुन को अपने ही लोगो से लड़ना था .............कुल के नाश का कलंक भी लग सकता था | वास्तव में ............हम किसी एक मनुष्य की गलती लेके बैठ जाते है .........फिर उसे असुर मान कर समाज से बहिस्कृत कर देते है ........................लेकिन दोस्त कभी कोइ जन्म से गलत नहीं होता ............नाही वो ये संकल्प लेके पैदा होता है ..............हाँ कर देते हैं वो कुछ गलतियां ..............लोगो की नजर में .............लोगो की नजर में मैं इसलिए कह रही..... क्योकि दोस्त .................वास्तव में सही क्या है और गलत क्या हैं ये किसी को नहीं पता है ...........हम बस अंदाजा लगते हैं ,, हाँ ये सही है ............हाँ ये गलत हैं ||

 

 लेकिन अंदाजा लगा के किसी को सही या गलत साबित करना कहाँ तक सही है ? |

हम कोइ अपराध तो नहीं कर रहे है .........यूँ ,, किसी पे ऊँगली उठा के .........बिना ये जाने की उसकी सोच क्या हैं ?
बिना हर पहलु को जाने किसी पे ऊँगली उठा देना आने वाले समाज में गलत पहलुओ को जन्म देता है ..........हमें सावधान रहना चाहिए || कही हम अपनी बेवजह की सोच की वजह से .........एक और अपराध और एक और अपराधी को जन्म तो नहीं दे रहे है ||

 

 किसी को सही गलत साबित करने से पहले उसे जानने का प्रयाश करे ................ यूँ इलज़ाम लगा के किसी को दोषी न समझे |
अपनी सोच का बिस्तार करे ||

 

 

 अब बात करते हैं की हम अपनी सोच का बिस्तार कैसे करे ?

 

अपनी सोच का बिस्तार करना बहुत आवश्यक है ...............क्योकि वास्तविक ज्ञान हमें वही से मिलता है ............ये दरो - दीवारों को देख के हमने कल्पनाये भर की हैं ,, खुद में झाकने की हिम्मत हुई तो जीवन नजर आया |

दोस्त ..........
कोइ राय न बनाये किसी के बारे में ...................अपनी राये ना दे किसी को बेवजह ...............हम इन सब चीजों से खुद को रोक नहीं पाते है |


किसी और के अंदर झाकने से पहले खुद में झाँके में .................हर किसी का जीवन अलग राहों से गुजर रहा होता है ...
उसमे अपने कदमो के निशाँ डालने की गलती ना करे |


हमेसा ,, खुद में सुधार करते रहे ............चाहे वो रिस्ता हो या किसी प्रत्योगी एग्जाम की तयारी हो | 


हम सिर्फ अपने भीतर सुधार लाके ...........भारत की सुधार में एक इकाई मदद कर सकते है ||

खुद के जीवन में सुधार लेकर आये तो .............कई और लोगो में भी सुधार लाया जा सकता है ..................खुद की क्षमता को पहचान के भी ,, खुद को सुधार ला सकते है ||

अँधेरा जीवन नहीं दोस्त ....................अँधेरे से निकलना भी हमारी सोच को बिस्तार देता है .............कभी भी बुरे वक़्त को अपना भाग्य ना माने....................और ना ही किसी और की बातों से अपनी आप को कमतर माने ............ईश्वर कभी किसी का दुर्भाग्य नहीं लिखता .................||

सो आगे बढ़ते रहिये .............अपने मूल बिंदु का चुनाव करे .............उस मूल बिंदु पे अडिग रहे |
शांति भी नए सोच को जन्म देता है .......जितना हो सके खुद के भीतर शांति लाये |
शांति से प्रकाश संभव है ..................प्रकाश में तो सब साफ़ -साफ़ दीखता है .............
तो हस्ते मुस्कुराते रहिये ..................अपने आस पास साफ़ सफाई रखिये ...............................
दीये को सूर्य मान के ना बैठ जाये .......आसमान के आखरी  कोने में छुपा हो सकता है ...................आपकी उमीदो का सूरज
बदलो को चीरते हुए .............उस सूरज को ढूंढ लायें..................वो आपका ही हैं ,,, आप बस अपनी सोच से रुके है ...........
सोच से पैर के मोच को हटाइए.......और आगे बढ़ते जाईये ||


ईश्वर भी ....................नया ढूंढ रहे है ..................उन्हें भी नए फूल चाहिए ..........कुछ मीठा फल उन्हें भी अर्पित करे अपने नई सोच से ...............पुरानी इमली कब तक खाएंगे   ||

अंकित तिवारी :)) 

 


 

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