Monday, November 16, 2020

यूँ तो मैं

कर सकता हूँ .. प्रेम


धरती से

प्रकृति से


आकाश से

चाँद की

सुंदरता से


वन उपवन से

पहाड़ .. नदियों से

कल-कल कर

बहते झरनों से

हो सकता है

कभी स्वयं से


मग़र नहीं

कर सकता मैं

तुमसे किया प्रेम


“किसी और से”

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