Sunday, November 8, 2020

मैं कितना भी

कुछ भी लिख दूँ

पर जब तक

मैंने जो लिखा

उसके बहुअर्थों

में से भी

वास्तविक अर्थ

न निकाल सको तुम


न समझ सको

जब तक तुम

मैं जो लिखकर

भी न लिख सका

तब तक तुम न

समझना

तुम प्रेम में हो

मेरे शब्दों के प्रेम में हो .!!

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