Sunday, November 8, 2020

 ....


जानती हो!

ये जो नदियां बहतीं हैं .. ये क्या हैं .?

ये कुछ और नहीं बस पहाड़ों का दर्द है .. जो उसने

किसी रोज़ किसी अपने के सीने से लग बहाया था


जैसे मैं बहा देता था अपना सारा दर्द .. तुम्हारे सीने से लग .!!

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