जब कभी हम
मिलेंगे तुमसेतब तुम
मत कहना
हमसे की तुम
करती हो
हमसे बेइंतहा प्रेम
हो सके तो
ले जाना तुम हमें
किसी अंधेरी रात को
खुले आसमां के नीचे
जहां तुम्हारी
आँखों की चमक से
फ़ैल रही हो
चाँद सी रोशनी
भरकर मेरे गालों को
अपनी हथेलियों में
तुम बस
पूछ लेना हमसे
उस आसमां
के चाँद
की ओर
निहारते हुए
क्या तुम
मिलोगे हमसे
उस दुनिया में भी
जहां है
अनुमति सिर्फ़
आत्माओं के
मिलन की
No comments:
Post a Comment