Saturday, December 19, 2020

मैं नहीं चाहता
लिखना तुम्हारे
आनन को चाँद

न ही मैं
चाहता लिखना
तुम्हारी मंजुल सी
आँखों को सितारा

न ही मैं लिखूंगा
तुम्हारे अधरों को
गुलाब की पंखुड़ियां

मैं लिखूंगा तुमको
लहलहाते खेतों की
हरियाली

उन खेतों में
लहलहाती सरसों
और उस सरसों की
डालियों पर
लहलहाते पीले पुष्प

मैं लिखूंगा
तुमको .. प्रकृति
क्यों कि
प्रकृति ही तो
प्रेम है...!!

No comments:

Post a Comment

संसद भवन में स्थापित सेंगोल का क्या इतिहास है ?(पांच हजार पूर्व का इतिहास )

पीएम नरेंद्र मोदी जी का एक और ऐतिहासिक फ़ैसला जिसने हमारे पूज्य प्रधानमंत्री जी के गौरव के साथ - साथ भारत के भी सम्मान को भी बढ़...