Tuesday, March 30, 2021

हो भोर के सूरज की

किरण सी .. तुम

जी चाहता है

निहारता ही रहूं .. तुम्हें


हो पूर्णिमा रात की

ओस की भीनी

सी महक .. तुम

जी चाहता है

सूंघता ही रहूं .. तुम्हें


रातों में ख़्वाबों में

आने वाली

हसीन परी सी .. तुम

जी चाहता है

ख़ोया ही रहूं .. तुझमें


अंकित तिवारी | 

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