हर सुबह
होती है
गुमसुम सी
कुछ
उदास सी
न खड़कता है
कोई पत्ता
और न ही
चहकती है
कोई गौरैया
न होता है
भौरों का
कोई शोर
न होता है
तितलियों का
कोई ठौर
बस होती
है तो
मन में
उदासी
पलकों में
नमी
होता है
सब कुछ ही
होती है
तो बस
तुम्हारी कमी....!!
अंकित तिवारी ||
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