Wednesday, March 31, 2021

 सुनो जानाँ !

आ जाओ अब

तुम हमारे क़रीब

लिखनी है

तुम्हारी पेशानी पे

एक प्रेम कविता


लिखनी है

एक प्रेम कहानी

तुम्हारे अधरों पे

तुम्हारी आँखों से

चुराकर

काली स्याही


की आ जाओ

अब तुम

हमारे क़रीब

की बनानी है

एक प्रेम धुन

तुम्हारी

कलाइयों की

हरी हरी

चूड़ियों की

खनक़ से

चुराकर..!!


अंकित तिवारी ||

No comments:

Post a Comment

संसद भवन में स्थापित सेंगोल का क्या इतिहास है ?(पांच हजार पूर्व का इतिहास )

पीएम नरेंद्र मोदी जी का एक और ऐतिहासिक फ़ैसला जिसने हमारे पूज्य प्रधानमंत्री जी के गौरव के साथ - साथ भारत के भी सम्मान को भी बढ़...