सुनो जानाँ !
आ जाओ अब
तुम हमारे क़रीब
लिखनी है
तुम्हारी पेशानी पे
एक प्रेम कविता
लिखनी है
एक प्रेम कहानी
तुम्हारे अधरों पे
तुम्हारी आँखों से
चुराकर
काली स्याही
की आ जाओ
अब तुम
हमारे क़रीब
की बनानी है
एक प्रेम धुन
तुम्हारी
कलाइयों की
हरी हरी
चूड़ियों की
खनक़ से
चुराकर..!!
अंकित तिवारी ||
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