जो लिखते हैं
प्रेम कविता
वे होते हैं
किसी के प्रेम में
या रहे होते हैं
किसी के प्रेम में
या प्रेम उनमें
रह रहा होता है
एक चुटकी
ही सही
प्रेम की
अभिलाषा लिए....!!
अंकित तिवारी
****
हां! देखता रहता हूँ
अब तुमको हर घड़ी
और जानता हूँ
तुमको ये ख़बर भी नहीं है
रुकीं हैं मेरी साँसें
तुम्हारी ही नज़रों में कहीं
हंसती है मेरी ख़ुशी भी
वहीं तुम्हारे ही होंठों पे कहीं
देखता हूँ तुमको तो
ठहर सी जाती है दुनिया मेरी
और जानता हूँ मैं
तुमको ये ख़बर भी नहीं है....!!
अंकित तिवारी
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