सुनो!
मैं तुम्हारे
प्रेम में हूँ
फ़िर भी
मैं तुम्हें
कभी
गुलाब नहीं दूंगा
मैं बनाऊंगा
तुम्हारे लिए
किसी इतवार
की शाम को
पनीर की
सब्ज़ी और रोटी
और उस रोटी के
निवाले को तोड़कर
पहले फूंक मारकर
मैं उसे ठंडा करूंगा
और फ़िर अपने हाँथ से
तुम्हें खिलाऊंगा............!!
अंकित तिवारी
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