लौट आती हैं तारीखें हर वर्ष
की बस जो लोग थे वज़ह
उन तारीखों के लिए
वो लोग कभी लौट कर नहीं आते हैं....!!
अंकित तिवारी
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न जाने वो सुबह कब आएगी
जब तुम सिर्फ़ याद नहीं आया करोगी
माथे पर मेरे बोसा देकर
तुम हमें उठाया करोगी...........!!
अंकित तिवारी
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जायज़ हैं तुम्हारी कुछ नाराजगियां भी हमसे
मैं कैसे मान लूं...मैं तुम्हारा गुनहगार नहीं हूं...!!
अंकित तिवारी
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