जैसे
एक चिकित्सक
किसी घाव को
भरने के लिए
रुई के फाहे से
सहलाता है
ठीक
उसी प्रकार
प्रेम भी
सहलाता है
रूह को
रुई के फ़ाहों से
और भर देता है
रूह पर पड़े
सारे घावों को
और
तैयार करता है
रूह की
ज़मीन को
ख़ुशियों की
नई कोपलों के
उगने के लिए....!!
अंकित तिवारी
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