पीड़ा आने से पहले कभी
संदेसा नहीं देती
लेकिन जाते वक़्त
कुछ अनुभव दे जाती है
थोड़ा हमें
खड़ा रहना सीखा जाती है
रोते -रोते
आँखों के झरने से
छोटी पगडंडियां
अपने आप बन जाती है
और फिर,,,
हम उन पगडंडियों
पे चलते चलते
सिख जाते है
पीड़ाओं से मित्रता करना ||
priyaa mishra
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