Saturday, May 15, 2021

मैंने कई ऐसे चेहरे देखे हैं
जिनके माथे की लकीरो में
वर्षो पहले रूठे प्रेम की
वेदनाये आज भी ,, एक
अधूरी कहानी की तरह
दिख जाती है ..........

माथा सिकुड़ता हैं तो
प्रेम कराहता है
तो कैसे मान लूँ
प्रेम में हार जाना
ईश्वर का वरदान है

रहे होंगे उनके कोइ
बुरे कर्म .............
तोडा होगा किसी
चटकती कली को
किसी डाली से
या ,, किया होगा
किसी दुधमुहे बच्चे को
उसकी माँ से अलग
तभी ये श्राप मिला है

प्रेम में बिरह एक श्राप है
ईश्वर का वरदान नहीं ||

मेरी कलम से :))

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