Tuesday, May 18, 2021

अभी शाम नहीं हुई है

 

  राधा :- कृष्णा ,, शाम हो गयी है ,, मेरे जीवन की शाम हो गयी है ...........|

लतिका :- अभी शाम नहीं हुई है राधा ,,  शाम तब होती है ...........जब सुबह होती है .............फिर दोपहर ..........उसके बाद शाम होती है ................तुम्हारे जीवन में तो सूरज ही नहीं आया राधा | 



राधा :- तभी तो ,, शाम हो गयी है .........अब घोर अँधेरा आएगा ...............फिर सब कुछ ख़तम हो जायेगा ...............मैं सायद सूरज देख ही न पाऊँ |

लतिका :- नहीं राधा ,, तुम्हारा सूरज सिर्फ तुम्हारा है ..............उसे बादलो से छीन के ले आवो ................वो डूबा नहीं है  
              बस ,, छिप गया है |



राधा :-  मैं खुद ही ..... ग़ुम गयी हूँ ,, लतिका ................कैसा संसार है यह ......?
           अभी कल की ही बात है ..................सड़क पर पड़े ..........मानव ने जाने कितनी ही बार पुकार लगाई होगी ............


           कोइ नहीं आया ................वो ...........जख्मी हालत में पुकार रहे थे ,, कोइ नहीं आया ..............|
           उन्होंने आखरी साँस ली ,, जिसकी विडिओ वायरल हो रही है |
               ऐसे अपनों की मरने की कौन विडिओ बनाता है |

             क्या हो गया है इस संसार को ............इस मानव जाती को | कहाँ जा रही है ये अपनी पीढ़ी ?
            आज मेरे जीवन का जो सूरज डूबा है ,, उसको फिर से प्रकाशित करने में कौन आगे आएगा
             कोइ नहीं आएगा | मानव तो चले गए |


 लतिका :-  कोइ नहीं आता है ,, राधा .............ये समाज सिर्फ .............. हडियों की चूल्हा जला के .......मांस खाना जानती है
                इनका कोइ मजहब नहीं कोइ ,, देवता नहीं ................ये खून की होली खेलते है ....................


                लेकिन तुम्हे तो खड़ा होना होगा .............हमें खड़ा होना होगा ...............ताकि आने वाले समय में एक और मानव
                  इस निर्ममता का शिकार न हो 

.....................मनुष्य जाती में प्रेम तो जगाना  हो होगा ना |

 राधा :- हाँ लतिका ,,जगाना   तो होगा .............लेकिन हमारे जगाने से कोइ जागेगा ..........कौन जागेगा ..........किसको पड़ी है ?
            यहां सब अपनी बारी का इन्तजार कर रहे है .................... अभी कहाँ कोइ अपने आँगन में तुलसी लगता है
           सबको तुलसी सिर्फ गंगा घाट में नजर आती है ..............और तभी जरुरत भी महसूस होती है  |

 तो मै अकेले अपने     आँगन में कैसे एक नन्हे से तुलसी के पौधे से ..............एक अयोध्या बनाउंगी  ...............बन भी गया तो 


तो राम कहाँ से लाऊंगी ............बता ना लतिका राम कहाँ से लाऊंगी | 

 

 लतिका :- राम आएंगे राधा .................. तुम बस एक दीप जलाओ.............. राम अवश्य आएंगे,,  अभी शाम नहीं हुई है ||


 ANKIT TIWARI

 

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