Tuesday, June 1, 2021

राम कथा ( प्रथम अध्याय ) राम जी के जन्म का उद्देश्य .............देवताओ का श्री बिष्णु जी के पास जाना और रावण के द्वारा त्रस्त पृथ्वी और पृथ्वीवासियों का हाल सुनाते हुए ...........श्री बिष्णु से सहायता मांगना ||

 राम कथा ( प्रथम अध्याय )

 

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सारे देवता ............ रावण के अत्याचार से त्रस्त माता पृथ्वी संग भगवान् श्री बिष्णु जी के पास पहुंचे और उनकी प्राथना करने लगे | हे प्रभु ,, पालनकर्ता , हाथो में शंख और चक्र को धारण करने वाले | शेष नाग की शैया पे बिश्राम करने वाले | जगत के पालन करता,, ये पृथ्वी त्राहि त्राहि कर रही है | हे प्रभु , आप प्रसन्न हो ,, आपके प्रसन्न होने पर ही पृथिवी की रक्षा -सुरक्षा संभव हैं | हे , नाथ आँखे खोले , माता लक्ष्मी जिनके चरण कमल के पास बैठ कर उनके चरणों की सोभा बढाती है ,, ऐसे नीलकमल वाले भगवान् श्री बिष्णु हमारी रक्षा करे | जो माता लक्ष्मी के अति प्रिय है ,, जो हाथो में कमल धारण करते हैं तथा ओमकार शब्द की उतपति जिनसे होती है ,, वैसे हे कमलनयन भगवान्  श्री हरी हमारी पुकार सुने ||

ऐसी ,, करुण देवताओ की पुकार सुनकर भगवान् श्री बिष्णु जो सकल जगत को धारण करते है ,, उन्होंने आँखे खोली ...........और देवताओ से कहा .......हे सभी श्रेष्ठ और पूजनीय देवता ........मैं आपके सारे कस्टो से पूर्व ही अवगत हूँ  | समय आने पर धर्म की रक्षा के लिए मैं दशरथ नाम के एक राजा के घर चैत्र मास की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लूंगा |

भगवान् श्री हरी से ये वचन सुन के देवताओ के हर्स का ठिकाना ना रहा ............. और वो भगवान् को प्रणाम कर अपने -अपने लोक चले गए |

इधर ,,

 

दशरथ रामायण के अनुसार रघुवंशी राजा हुए |  दशरथ राजा अजा तथा इन्वदुमतीके के पुत्र थे ,, तथा इक्ष्वाकु वंश में जन्मे थे |वो बहोत ही प्रतापी , सत्य की रक्षा करने वाले , सूर्यवंशियो में सर्वश्रेस्ट थे |
धन -बैभव , बल ,शक्ति में उस समय राजा दशरथ के सामान कोइ ना हुआ था | किन्तु दशरथ जी को एक बहोत बड़ा दुःख था की ,, उनके कोइ संतान नहीं थी |  वो हमेसा ही इस शोक में रहते थे की ,, उनके कोइ पुत्र रूपी वंशज नहीं था |उनकी तीनो रानियों को कोइ माँ कहने वाला नहीं था | सारी अयोध्या सुनी थी | अयोध्या के पास अपना कोइ राजकुमार नहीं था | सारी अयोध्या निराशा में डूबी थी | 

 

 राजा दशरथ के कुलगुरु ब्रम्हर्षि बशिष्ठ  हुए  |

 कुलगुरु बशिष्ठ ने राजा दशरथ को पुत्रकामेष्टि यज्ञ और अस्वमेद्य यज्ञ,, ऋषि शृंगि  से   करने की प्रेरणा | इन दोनों यज्ञो के पश्चात ,, माता कौशल्या को राम जी पुत्र के रूप में प्राप्त हुए , माता कैकई को .......भरत पुत्र के रूप में प्राप्त हुए,,  और माता सुमित्रा को लक्ष्मण और शत्रुघ्न पुत्र के रूप में प्राप्त हुए |

अब सारी अयोध्या में हर्ष और उलाश था  | चारो राजकुमार साक्षात् ईश्वर के रूप में अयोध्या को प्राप्त हुए थे |
इधर माँ पृथ्वी और सारे देवता भी अति प्रश्न थे ,, भगवान् श्री हरी ने जन्म ले लिए था .............रावण जैसे अत्याचारियों के नाश के लिए || 



आप सभी का पढ़ने के लिए आभार | हमेसा खुस रहे |

 

 

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 जय श्री राम 




लेखक :- अंकित तिवारी
सहलेखिका :- प्रिया मिश्रा

 

 

 

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