ग़लती किसकी ?
खुद को थपड़ मारने के बाद कितना दर्द होता होगा खुद को ? सोचे और बताएं | जाने दीजिये ये बताईये ............कितना दर्द होता है,, जब कोइ आपको थपड़ मरता है ,, आपकी ग़लती पर ?
ये बताईये कितना दर्द होता है ,, जब आपको बिना ग़लती के थपड़ मारे ?
हम सबसे जायदा बुद्धिजीवी है ,, हमें अभिमान है,, इस बात का | हम मनुष्य प्रजाति के है | कई योनियों बाद मनुष्यो का जन्म होता है |
कभी सोचा है ,, हमने कभी इस बात का लाभ नहीं उठाया की हम मनुष्य है ,, सिर्फ फ़ायदा उठाया है | अब आप सोच रहे होंगे ,, दोनों शब्दो का अर्थ तो एक ही होता होगा | मान लेते है आपकी बात ,, फिर ये भी तो सोचिये एक ही अर्थ के लिए दो शब्दों की क्या आवशकता पड़ी ||
हमेसा सोचते रहिये ? सोचना जरुरी होता है |
मैं मुद्दे से नहीं भटक रही,,कुछ पुराने विचारो को साँझा करके आपसे कुछ मुद्दे उठाने का प्रयाश कर रही हूँ |
बस इतना कहना चाहती हूँ ,, सोचना जरुरी होता है ||
हमारे समाज में लड़कियों को ये समझा जाता है ..........वो कमजोर है ,, शारीरिक तौर पे ,, कुछ लोग मानशिक तौर पे भी उन्हें कमजोर मानते है | इस नाते बहोत साल पहले ये तय किया गया था की ,, लड़की बाल्यावस्था में पिता के पास , युवास्था में पति के साथ और प्रौढ़ावस्था में बेटे के साथ सुरक्षित रहती है |
मान भी लेते है की बात सत्य हो सकती है |
पुरुष वास्तव में,, पुरुषार्थ का धनी हो तो संभव है | लेकिन पुरुष मादा भक्षी हो तो कहाँ तक ये बात सहमत होने वाली है |
सोचिये और सोच के बताईये ?
कहा जाता है की ,, महिला को एक पुरुष का साथ होना आवश्यक है | मान लेते है इस बात को |
फिर ये सोच के बताईये ,, अभी भी कुछ राज्यों , कस्बो और गॉवों में जब किसी स्त्री का पति गुजर जाता है तो उसकी दूसरी शादी को लेके हमारा समाज ये दकियानुशी क्यों हो जाता है ? आखिर इसी समाज ने ये कहा है की एक महिला को पुरीष के साथ की जरुरत है | फिर पुरसो को दुबारा बिवाह करने में दिखाते उतनी नहीं आती ,, जितनी महिलाओ में आती है | कमजोर तो महिला है ,, साथ की और सुरक्षा की उसको जरुरत है |
खैर ये सब बातें अब धीरे -धीरे ख़तम हो रही हैं | ये जान कर मुझे खुसी है ............लेकिन अभी भी ये है ,, इकीसवीं सताब्दी में भी ,, ये जान कर बहोत दुःख है |
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