मैं चिड़िया चंचल सी
मैं हर वक़्त गुनगुना सकती हूँ
मैं कोइ भी गीत गा सकती हूँ ||
तुम मुझे मत बांधो
ना ,, डालो मुझे पिंजरे में
देखो मेरे नन्हे पंख त्यार है
मैं उड़ान को जा सकती हूँ
मैं चिड़िया चंचल सी
मैं कोइ भी गीत गा सकती हूँ ||
सुनो तुम दाना मत डालो
तुम लगा दो एक पेड़
मैं एक -एक करके सबके घर आउंगी
तुम्हे भी मिट्ठी धुन सुनाऊँगी
फिर ,, बनाउंगी एक घोसला
मैं नन्ही चिड़िया कोने -कोने में
सुर लगाउंगी .............
मैं गाउंगी रोज नए गीत
और पंख फैला उड़ जाउंगी
मैं रोज तुम्हे लुभा सकती हूँ
मैं चिड़िया चचंल सी
मैं कोइ भी गीत गा सकती हूँ ||
अंकितप्रिया :))
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