तुम बहोत सुन्दर हो
तुम ,,
इतनी सुन्दर हो की,,
तुमपे सज ये श्रृंगार भी सज रहा है
जरा देखो अपने केशो को
खुले है ,, सावन के मेघो जैसे
और इनमे लगा ये बेली का गजरा
जैसे ,, चांदनी रात सज रही हो
ये ख़ासियत इनकी नहीं है
कल ही तो देखा था मैंने
इन फूलो को पेड़ो में
इनमे चमक ना थी ,, ये तो तुम्हारे केशो की
सुंदरता है ,, जो इनमे समा गयी है ||
सुनो ,,
जब तुम झूला झूलती हो ,, और वो नीम की डालियाँ
मस्त मगन सी नाचती है .................................
मेरा मन भी वैसे ही नाचता है ,, जब तुम सामने होती हो ||
अंकितप्रिया :))
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