वो चाँद थी.....बिछड़ के भी असंख्य सितारों संग रही
मैं सूरज था.....कुछ पलों का ग्रहण लगा तब चाँद साथ
आया...उस से पहले भी अकेला था...उसके बाद भी अकेला.!!
अंकित तिवारी
शरीर की चोट से
कहीं ज्यादा कष्ट देती है.........रूह की चोट
पर विडंबना तो देखो
शरीर की हर चोट का इलाज़ सम्भव है
पर रूह पर लगी चोट के लिए
आज तक...न किसी ने कोई दवा की गोली बनाई है
न ही कोई डॉक्टर रूह की चोट का इलाज़ कर सकता है
और न ही ऐसी कोई पढ़ाई होती है।
अंकित तिवारी
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