मैं आखरी वर्ष हूँ , तुम्हारी हार का
मुझे देख लो , और कमियां अपनी गीन लो |
सारी कमियां तुम्हारी नहीं है,,
परन्तु ,, जितनी भी है
उतनी कम नहीं है |
हाँ आज से उत्सव मनाओ
अपनी जीत का |
लेकिन मत भूलना उनको
जो हाथ छुड़ा के गए ...
और जिन्होंने हाथ थामे रखा तुम्हारा
तुम्हारे अपने दुर्दशा के दिनों में ||
अंकितप्रिया :))
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