तुम्हारे जाने के बाद ,, मैंने
बर्तनो को धोया
और रख दिया उन्हें
रस्सी वाली खाट पर
बर्तन से पानी टपक के
सुख जायेंगे ..........
अब तुम्हारे आने पर ही तो
चूल्हे में आग जलेगी |
और करीने से सजा के
तुम्हारे कपड़े ,, अपने कपड़ो संग
आलिंगन करते हुए रख आई हूँ
फिर ,,
बरगद का एक पेड़ लगा के
तुम्हारे आने की राह देख रही हूँ
ये बरगद तुम्हारे आने तक
बड़ा हो जायेगा ,, और
तुम्हारे ,, कदमो की मिट्टी बुहरेगा
झुक के तुम्हारा स्वागत करेगा
सुनो तुम ,, इसे अपना पुत्र
समझना .....................
अंकितप्रिया :))
No comments:
Post a Comment