कब तलक यूँ
ढोता रहूंगा
अपने दिल में
अनकही
बातों का भार लिए
किसी रोज़
भर कर गुब्बारे में
अपनी अनकही
बातों को उड़ा दूंगा
तुम्हारी ओर
सुनो!
तुम पकड़ लेना
उस गुब्बारे को
और पढ़ लेना
उसमें भरी
मेरे दिल की
अनकही बातों को
जो सिर्फ़ तुम्हारे लिए हैं..!!
अंकित तिवारी
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