तुम मेरे लिए
उस काले बादल
के समान हो
जिसका सूखी पड़ी
धरती बेसब्री से
करती है इंतज़ार
और जो झमाझम
बरस के बुझा देता है
सूखी पड़ी
धरती की प्यास को
सुनो!
तुम भी
अपने प्रेम की
ज़रा सी वर्षा करके
वर्षों से सूखे पड़े
मेरे दिल की
प्रेम की
प्यास बुझा दो न..!!
अंकित तिवारी
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