जो भी मिला...........समझदार ही मिला
काश! कोई समझने वाला भी मिला होता...!!
अंकित तिवारी
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ज़माने में.......ढूंढ रहे हो.......तो मियाँ......भूल कर रहे हो
अब वो पुराने से लोग...किताबों और कहानियों में मिलते हैं..!!
अंकित तिवारी
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कोई......ठहरता भी............तो क्यों मुझमें
उजड़ी हुई बस्ती में कहां कौन ठहरा करता है..!!
अंकित तिवारी
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