Monday, June 7, 2021

काश!

 जो भी मिला...........समझदार ही मिला
काश! कोई समझने वाला भी मिला होता...!!

अंकित तिवारी 

***

 

ज़माने में.......ढूंढ रहे हो.......तो मियाँ......भूल कर रहे हो
अब वो पुराने से लोग...किताबों और कहानियों में मिलते हैं..!!

अंकित तिवारी  

***

 

कोई......ठहरता भी............तो क्यों मुझमें
उजड़ी हुई बस्ती में कहां कौन ठहरा करता है..!!

अंकित तिवारी 

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