Wednesday, June 9, 2021

इमारत सी हो जाती हैं

 यादें....मन में दबी यादें...दबीं दबीं.....किसी खण्डहर हो
चुकी....इमारत सी हो जाती हैं

सुनो!...आओ न हम अपनी अपनी यादें....एक दूसरे से
साझा कर........एक सुंदर से महल की रचना करते हैं....!!


अंकित तिवारी

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