सुनो! रख दो न तुम .. अपने गम मेरी हथेली पे
मैं मुट्ठी बंद कर .. अपने सीने में छुपा लूंगा कहीं..!!
***
लिख दी है मैंने
अपनी आख़िरी
इच्छा एक कोरे
कागज़ पर
कागज़
कलम
कविताएं
और किताबें
इन सबको
बुलाया जाए
बस मेरी
अंतिम यात्रा में
इंसानों को न
बुलाया जाए.......!!
***
अंकित तिवारी
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