सीने से लगा कर अपने........अब सहारा दो हमें
ये इश्क़ बहुत भारी सा लगता है...बंटवारा दो हमें
ये झील सी.........गहरी गहरी.........तुम्हारी आंखें
मैं डूब रहा हूँ इन आँखों में.....…..अब बचा लो हमें...!!
अंकित तिवारी
प्रेम
.
.
.
ईश्वर द्वारा
परोसा गया
भोजन है.....!!
अंकित तिवारी
No comments:
Post a Comment