कितना
अच्छा होता न !
गर हमें मालूम
होता की
उस पिता की
“माँ” कौन है
जो है हम
सभी का पिता
जाकर अपनी
दादी के पास
रोते हुए कर देते
हम भी
अपनी शिकायत
जब वो
छीन लेता
हमसे
हमारी मनपसंद
की कोई भी चीज़...!!
अंकित तिवारी
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