प्रेम में
पड़ी स्त्री
एक नन्हे से
शिशु की
तरह होती है
जो कभी भी
किसी भी
भावना में
बहने लगता है
कभी फफक
कर रोने लगता है
तो कभी
खिलखिला
कर हंसने लगता है
जो कभी
सहम जाता है
तो कभी प्रेम से
अपनी माँ के
सीने से लग जाता है....!!
अंकित तिवारी
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