घरेलू
स्त्रियों
के पास
होते हैं
बहुत
सारे आंसू
आँसू....हर घटना के लिए
आँसू
जो....देन होते हैं
घर के पुरुषों की......!!
अंकित तिवारी
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तुम
पड़ना
प्रेम में
गर कभी
तो करना
अपने
प्रेमी/प्रेमिका
से
कुछ ऐसे प्रेम
जैसे
करता है
एक नन्हा शिशु
मिट्टी के बने
खिलौने से
और
अपनी जननी से....!!
अंकित तिवारी
Such a nice poetry. It shows the clear picture of life.
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