Wednesday, April 21, 2021

यूँ तो मैं
कर सकता हूँ .. प्रेम

धरती से
प्रकृति से

आकाश से
चाँद की
सुंदरता से

वन उपवन से
पहाड़ .. नदियों से
कल-कल कर
बहते झरनों से
हो सकता है
कभी स्वयं से

मग़र नहीं
कर सकता मैं
तुमसे किया प्रेम

“किसी और से”



अंकित तिवारी  

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