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जब हमारे लिए दुनिया ख़तम होने वाली होगी, तब हम अपने अपनों को याद करेंगे, और याद करेंगे अपनी गलतियां , और शायद उस वक़्त हम माफ़ी मांगे ||
लेकिन क्या उस वक़्त मांगी गयी माफ़ी मान्य होगी ?, सोचने का बिषय है |सोचने का बिषय तो ये भी है की , जिस व्यक्ति से हमें माफ़ी मांगनी होगी क्या उस वक़्त वो होगा ? हमारी गलती कितनी होगी ? क्या माफ़ी हमें मिल जाएगी ?
अंकित तिवारी
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