कहानियो का क्या है ? बनते बिगड़ते एहसास, थोड़ी मीठी थोड़ा ख़टास, कुछ जज़बात और तयार है, एक कहानी |
नहीं -नहीं मैं कोइ हिंदी का लेखक नहीं हूँ , जो मन में आता है, बकबक कर देता हूँ |
जो देखता हूँ लिख देता हूँ , बस आदत समझिये या लिखने की भूख़ |
वैसे कल की ही बात हैं ,, बगीचे में एक पेड़ से एक आम गिरा ......धम्म से,, सब दौड़ के आ गए आस- पास वाले | और कहानियां बनाने लगे | एक आम हजार कहानियां | किसी ने कहा शायद जायदा बड़ा आम था डाली में ठहर नहीं सका | दूसरे ने कहा नहीं -नहीं हवा कितनी तेज है देख नहीं रहे हो , जोर की हवा आई होगी बेचारा आम टूट गया | तीसरे ने कहा ........ना , देखो आम में कटे का निशान है , जरूर किसी ने खाया है, इसको |
चौथा भी निर्कर्ष पे पंहुचा .......न भईया ना देखो ध्यान से निशान है, आम पर जरूर ससुरा कौनो गुलेल से मारा होगा , अरे आम का पेट भी तो फटा पड़ा है | पांचवा और आगे निकल गया ......बोला कितने बजे है ? सब पूछ बैठे कहे भईया का हुआ है | वो बोला दिन के १२ बजे यहां चौबे की बीवी जो मरी थी वो चुड़ैल आम खाने आती है , और जो पसंद न आये तो गुस्सा के पहले उसे निचोड़ती है फिर फेक देती है , तभी तो देखो खाये का भी निशान है और चोट भी है आम को | छठा व्यक्ति , पांचवे व्यक्ति से सहमत हो गया और बोला सही कह रहे हो भईया ...........हमारे गांव में एक बार ऐसा हुआ था , एक चुड़ैल ने पुरे आम की बगीचे को उखाड़ दिया था , सत्यनाशन ....ये औरते चुड़ैल ही होती है | सच कह रहे हो भईया |
इसके साथ ही चौधरी आया और सब काम पे लग गए | आम अब भी वही पड़ा है | अब चुड़ैल की बात आ गयी है तो कौन उसे खायेगा ? वो भी चौबे जी की पत्नी ? सुना है वो जीवित भी चुड़ैल ही थी |
ख़ैर,, हमारी कहानी ख़तम हुई | आप करिये मौज |
अंकित तिवारी
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