Sunday, June 27, 2021

 

सभी कहते हैं
तुम लिखने में अच्छी हो
राइटिंग में अपना
कर्रिएर्स बनाओ
लेकिन लिखेंगे क्या ??
प्रश्न यही बार -२
मन में आ ही जाता हैं
वही बासी खबरे
रोज लोगो के मनोरंजन का कारन हैं
वही पुरानी क्रिकेट की हार ,
हुन्दुस्तान पाकिस्तान
चीन और नदी की समस्याए
रोज की छेड़ - छाड़
ये बेवजह राजनीती की
रड़नीतिया
कौन से नए शब्दों को चुनेंगे
कहा से नया पन लाएंगे
सब या तो देश को सुधारते
या मंत्रियो को
या फिर हामरे वही घिसे -पिटे से
संबैधानिक
व्यवस्था को
कोइ खुद को सुधारता हैं क्या ??
किसी के मन में खुद के लिए कोइ प्रश्न आता क्या ??
नहीं
सब अच्छे हैं
यदि सब अच्छे हैं तो बुरा कौन हैं ??
देश या देश वासी ??
देश तो देश में रहने वाले लोगो से बनता हैं
फिर देश तो बुरा नहीं
तो देशवासी की खुद को बुरा मान के कुछ नया
करते हैं , नहीं बिलकुल नहीं
क्युकी , आज की अखबार भी कल के खबरों से भरी पड़ी
हैं ,
डूबते को सहारा नहीं
आज कल तिनके को सहारा
चाहिए ,
डूबता तो बच ही जायेगा ,
और न बचा तो
वही कल की न्यूज़
और फिर से ,
पुराने पन
में ढला एक
इतिहास
वही मोमबत्ती लेके
रस्ते पे बैठना
धरना
लेकिन फायदा क्या
पहले बचाया होता
तो ,
पर पहले बचा लेते तो ,
यूँ , धरने में
तस्बीरे नहीं आती
हम फेमस नहीं हो पाते न !!
बस यही
पेज - ३ का पहला पेज
और हिंदुस्तान का आखरी पेज
सब इसी से भरा रहता हैं
तो फिर मैं क्या लिखूं ??
सोचा जरा
ज्ञान बात दूँ ,
खुद को सुधारो ,
अपने शब्दों पे नहीं अपने आचरण पे ध्यान दो
समय की भी बचत होगी ,
और सायद तुम्हे देख के कोइ सुधर जाये !!
खुद को सुधारो ,
एक - एक
करके परिवार ,
फिर मुहल्ला ,
शहर ,फिर
राज्य ,
फिर देश सुधर जायेगा !!
शायद ,
ये मुमकिन हो पाएगा
अगर दूसरे की थाली की रोटियां न गिने
तो ,
दूसरे की खिडकिया न झाँके तो
संभव हैं
अखबारों के
शब्द भी काम हो जाये
वो भी साफ हो जाये
आपके मन के मैल के साथ -२
और हम भी कुछ और सोचे
नई राह ढूंढे ...
और नए शब्द तलाशे ..
अब तो कलम भी
घिसने जैसी चलती हैं
जैसे ....
पुराने पन से चिढ गयी हो ......
प्रिया मिश्रा

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