मेहरी सबकुछ
भरी दुपहरी में
जब मन छिटक सा जाता है ,और ,,
गर्म हवाओ से नाक सूखा -सूखा हो जाता है
तभी फरमाईस होती है
मेरी श्रीमती की .....
लाओ कच्चे आम बगीचे से ,
अब कहे क्या और करे क्या ?
न लाये तो रात की रोटी कैंसिल समझो
लाने गए हाथ में हरा आम लिए हम काले लौटेंगे |
बहुत दुःख रहा भाई
बियाह के बाद
मेहरी सबकुछ
और
अनाज पकने के बाद
डेहरी सबकुछ
😑😑
अंकित तिवारी
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