Thursday, June 10, 2021

मेहरी सबकुछ

 मेहरी सबकुछ

 

 

 

भरी दुपहरी में
जब मन छिटक सा जाता है ,और ,,
गर्म हवाओ से नाक सूखा -सूखा  हो जाता है

तभी फरमाईस होती है
मेरी श्रीमती की .....
लाओ कच्चे आम बगीचे से ,

अब कहे क्या और करे क्या ?
न लाये तो रात की रोटी कैंसिल समझो
लाने गए हाथ में हरा आम लिए हम काले लौटेंगे |

बहुत दुःख रहा भाई
बियाह के बाद
मेहरी सबकुछ
और
अनाज पकने के बाद
डेहरी सबकुछ 

😑😑


अंकित तिवारी

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