Monday, July 26, 2021

सूर्य नमस्कार के १० फायदे क्या है ?

 सूर्य नमस्कार के १० फायदे क्या है ? 

 


 


सूर्य नमस्कार जिसे हम आम भासा में सूर्य प्रक्रिया भी कहते है,  यह शारीरिक तंत्र के लिए एक अभ्यास है –इसे सम्पूर्ण शरीर के व्यायाम रूप में लिया जा सकता है। सूर्य नमस्कार का प्रभाव पुरे शरीर में महसूस किया जा सकता है।  ये हमारे शरीर को ऊर्जा से भर देता है।  सूर्य नमस्कार का मतलब होता है , सूर्य के आगे झुकना उनका अभिनन्दन करना।  सूर्य नमस्कार आध्यात्मिक साधना के लिए भी बहुत उपयोगी है।  
सूर्य नमस्कार को ऐसे देखा जा सकता है की , हम जो कुछ भी खाते है या पीते है , वो सब सूर्य ऊर्जा के द्वारा ही सींचे गए होते है या दूसरी भासा में कहे तो सबमे सूर्य की ऊर्जा का कुछ स्त्रोत होता है।  हम मनुष्यो के जीवन में सूर्य ऊर्जा का बहोत महत्तव है।
सूर्य नमस्कार को कसरत के रूप में भी लिया जा सकता है।  सूर्य नमस्कार हमारी पीठ तथा हमारी मांशपेशियों को सुसज्जित तथा मजबूत करने में मदद करता है।  सूर्य नमस्कार के बाद यदि सूर्य के किरणों द्वारा चार्ज किया हुआ जल ग्रहण किया जाये तो सूर्य नमस्कार का दुगुना लाभ प्राप्त होता है।  

सूर्य नमस्कार शरीर को एक बेहतर आकार देता है।  परन्तु ये तभी पूरी तरह से फायदेमंद है जब आप इस प्रक्रिया के द्वारा सूर्य ऊर्जा को आत्मसात करना सिख लेते है।  सूर्य नमस्कार करने से आपकी ऊर्जा सूर्य की ऊर्जा से ताल -मेल बैठा लेती है , जिससे आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते है।  सूर्य नमस्कार में बारह मुद्रा या आम भासा में बारह आसान है।  सूर्य नमस्कार हमारी चेतना को जागृत करने के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।  हमारी शरीर के पांचों तत्वों से जोड़ने का काम भी सूर्य ऊर्जा करती है , जो की हमें सूर्य नमस्कार से प्राप्त होती है।  
सूर्य नमस्कार के बाद अगर शरीर को जरा आराम दे और शीघ्रता ना करते हुए दो से तीन घंटे का अंतराल नहाने में और सूर्य नमस्कार में  दे तो यह काफी लाभदायक होता है।  सूर्य नमस्कार में सूर्य त्राटक भी आ जाता है , जिसमे उगते सूर्य को लगातार देखने की प्रक्रिया है।  यह प्रक्रिया गर्मियों में सुबह के ५ या ५ : ३० के आस -पास की जा  सकती है तथा सर्दियों में  ६ या ६ : ३० तक किया जा सकता है।  सूर्य नमस्कार का भी यही समय अनुकूल माना जाता है।  आप सूर्य नमस्कार और सूर्य त्राटक दोनों ही सूर्य उदय के बाद एक घंटे तक ही कर सकते है , उसके बाद सूर्य से अल्ट्रावेव निकलने लगती है , जो शरीर के लिए हानिकारक है।

 

  हमारे शरीर में सात चक्र है।  सूर्य नमस्कार उन सात चक्रो को सुधा तथा संतुलित करने में सहायक सिद्ध होता है , परन्तु ये तभी पूरी तरह से काम करता है , जब इसे आत्मसात कर लिया जाए।  इन बारह चक्रो के आसान में बारह मंत्र बोले जाते है तथा बारह योगासन की प्रक्रिया होती है।  इन सारे मंत्रो का और योगासन का एक ही सरल अर्थ है।  सूर्य देव जो समस्त ब्रह्माण्ड में ऊर्जा के रूप में स्थित है उन्हें हमारा प्रणाम है

 

 सूर्य नमस्कार सूर्य की रौशनी में किया जाये तो ये अधिक फायदेमंद होता है।  क्योकि सूर्य को देव मन जाता है और ये ऊर्जा के भरपूर स्रोत है , तो इसके समक्ष ही इनको प्रणाम करना सही होगा ना।  हमारे ऋषि -मुनि भी सूर्य को अर्ध्य देने तथा उनके पूजा करने के बिधान के बारे में बताते है।  हमारे ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य का बहोत बड़ा महत्तव है ।  सूर्य को सभी ग्रहो का राजा भी कहा जाता है।  सूर्य को लेकर हमारी प्राचीन ग्रंथो में कई कहानियाँ भी है। श्रीमदभगवत पुराण के अनुसार सूर्य को ही सबसे पहले गीता का ज्ञान हुआ था। सूर्य  ज्ञान की दृस्टि से या फिर अध्यात्म की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण है।  
तो आईये जानते है सूर्य नमस्कार के बारह योगासनों के बारे में।  पहले नाम की चर्चा कर लेते है।  

१) प्रणामासन (Pranamasana - The Prayer Pose)


ये पहला योगासन नाम से ही स्पष्ट हो रहा है की , ये एक प्राथना की अवस्था है।  इसमें उच्चारण किया जाने वाला मंत्र है (ॐ मित्राय नमः (  इस मन्त्र का अर्थ है जो सबके लिए मित्र है ) ) सूर्यनमस्कार के पहले चरण में आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाया जाता है।  इस प्रक्रिया में उच्छवास(लम्बी और गहरी श्वास लेना)  लिया जाता है। 

प्रणामासन के फायदे :- 

प्राणामासन शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
तंत्रिका तंत्र को आराम देता है।

२) हस्तउत्तनासन (Hasta Uttanasana - Raised Arms Pose) ।  

सूर्यनमस्कार के दूसरे चरण या योगासन को कहते है ,  हस्तउत्तनासन।  इस योगासन में भी हम सूर्य को नमस्कार करते है तथा इस प्रक्रिया में एक दूसरे नाम से या मंत्र से सूर्य देव को प्रणाम करते है।  वो मंत्र है (ॐ रवये नमः।( इस मंत्र का अर्थ है दीप्तिमान या दीप्तिमान।) )

हस्तउत्तनासन के फ़ायदे : -

 हस्तोत्तानासन पेट की मांसपेशियों को फैलाता है और टोन करता है।
यह छाती का विस्तार भी करता है, जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन का पूरा सेवन होता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग होता है।

३ )

 हस्तपादासन (आगे की ओर झुकना) :- 

ये सूर्यनमस्कार का तीसरा योग है ,जिसमे शरीर को आगे की और झुकाना होता है। इसमें ध्यान को मणिपूरक केंद्र पर केंद्रित किया जाता है।  इस प्रक्रिया में श्वास को धीरे -धीरे छोड़ते हुए शरीर को आगे की और झुकाया जाता है।  इस योग में सूर्य मंत्र है ( ॐ सूर्याय नमः , जिसका अर्थ है जो गतिबिधि के कारक है।   सरल अर्थ में जो गतिबिधि उतपन्न करने के लिए जिम्मेदार है, तथा जो अन्धकार को दूर करने वाले है , उन सूर्य देव को हम प्रणाम करते है।  )


    हस्तपादासन  के फ़ायदे   :- कमर और रीढ़ को लचीला बनाता है।
    हैमस्ट्रिंग को फैलाता है।
    कूल्हों, कंधों और बाहों को खोलता है।

 

4)

 अश्व संचालनासन (घुड़सवारी मुद्रा)  :- 

ये सूर्यनमस्कार का चौथा योग है।  इस स्थिति में ध्यान बिशुद्धि चक्र पर होता है। इस योगासन में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाना होता है । छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस योग में सूर्य मंत्र है ( ॐ भाववे नमः  (अर्थ:  वह जो रोशन या चमकीला हो।))

अश्व संचालनासन के फायदे :-

अश्व संचालनासन पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
रीढ़ और गर्दन को लचीला बनाता है।
अपच, कब्ज और साइटिका के लिए अच्छा है।

 

 5)

दंडासन (स्टिक पोज)  :- 

ये सूर्य नमस्कार का पांचवा योग है। इस क्रिया में ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित होना चाहिए ।  इस योग क्रिया में श्वास को धीरे-धीरे बाहर की और निकालते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां आपस में  मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप( लैंप वेल )  में लगाएं। इस योग में सूर्य मंत्र है  ( ॐ खगया नमः (अर्थ: वह जो सर्वव्यापी है, जो आकाश में घूमता है। )

 दंडासन  के फ़ायदे :-  

दंडासन बाहों और पीठ को मजबूत करता है
मुद्रा में सुधार करता है।
कंधों, छाती और रीढ़ को स्ट्रेच करता है।
मन को शांत करता है।

 

6)

 अष्टांग नमस्कार (आठ भागों की मुद्रा के साथ नमस्कार  ) :- 

ये सूर्य नमस्कार का छठा योग है। इस योग में ध्यान को 'अनाहत चक्र' पर टिका दें और श्वास की गति सामान्य रखना होता है ।  इस स्थिति में श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दण्डवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर लगा दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास छोड़ दें। इस योग में सूर्य मंत्र है ( ॐ पौशन नमः जिसका अर्थ है पोषण और पूर्ति का दाता। )

अष्टांग नमस्कार के फ़ायदे :- 

अष्टांग नमस्कार करने से  पीठ और रीढ़ की हड्डी  में लचीलापन आता  है तथा पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती है ।ये योग तनाव और चिंता को कम करने में काफी फायदेमंद है।

  


7)

भुजंगासन (कोबरा मुद्रा) :- 

ये सूर्य नमस्कार का सातवां योग है। इस स्थिति में आपका ध्यान मूलाधार चक्र पे होना चाहिए।  इस योग में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। इस योग का मंत्र है  ( ॐ हिरण्य गर्भाय नमः जिसका अर्थ है जिसके पास सुनहरे रंग का तेज है।


भुजंगासन कंधो , छाती और पीठ को फैलता है तथा लचीलापन बढ़ाता है ।ह्रदय को स्फूर्ति प्रदान करता है।  



8)

अधोमुक्त श्वानासन :-

 इसे हम सामान्य भासा में पर्वतासन (पर्वत मुद्रा) भी कहते है।   ये सूर्य नमस्कार का आँठवा योग है।  इसमें ध्यान को सहस्रार चक्र पर केंद्रित किया जाता है।  इस योग में  श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए  हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाना होता है । दोनों पैरों की एड़ियां आपस में मिलनी चाहिए तथा पीछे की ओर शरीर को खिंचाव देकर एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें। इस योग का मंत्र है (ॐ मरीचये नमः जिसका का अर्थ है अनंत किरणों वाला प्रकाश दाता।)

पर्वतासन (पर्वत मुद्रा)  :- पर्वतासन हाथों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
रीढ़ की हड्डी के क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। 


9)

अश्व संचालनासन (घुड़सवारी मुद्रा)  :-

ये सूर्य नमस्कार का नवा योग है। इस योग में विशुद्धि चक्र पर ध्यान लगाया जाता है।   इस योग की प्रक्रिया में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस योग में सूर्य मंत्र है ( ॐ आदित्याय नमः , जिसका अर्थ है अदिति का पुत्र, ब्रह्मांडीय दिव्य मां।)

घुड़सवारी मुद्रा के फ़ायदे :-     

अश्व संचालनासन योग को करने से  पेट के अंग टोन होते है तथा पैर की मांसपेशिया लचीली बनती है।  

 

 10)

 हस्त पदासन 

 कार्यान्वयन: साँस छोड़ें और पैरों को एक साथ खींचे, दाहिने पैर को सामने रखें (आसन 3 के समान)। बस अपने घुटनों को इतना मोड़ें कि आपकी छाती आपकी जांघों पर टिकी रहे और आपका सिर आपके घुटने पर टिका रहे।

 

  फ़ायदे: 

 

  इससे अनिद्रा, ऑस्टियोपोरोसिस, सिरदर्द, चिंता और तनाव सभी को कम किया जा सकता है।

 

11)

हस्त उत्तानासन 

उसके बाद, एक गहरी सांस लें और अपनी बाहों को अपने सिर के ऊपर और ऊपर की ओर फैलाएं (जैसे मुद्रा 2) ऊपर देखें और अपने शरीर को थोड़ा पीछे की ओर बढ़ाने के लिए अपने श्रोणि को आगे की ओर दबाएं। गहरी सांस छोड़ें।

 फ़ायदे: 

  यह अस्थमा, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और थकान जैसी बीमारियों का इलाज करता है।  

यह पाचन में भी मदद करता है।  

छाती का विस्तार करता है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्ण ऑक्सीजन का सेवन होता है।

 

 12. उर्ध्व हस्तासन

 

  श्वास लें और अपनी भुजाओं को भुजाओं तक पहुँचाएँ और एक बार फिर उर्ध्वा हस्तासन में उपर की ओर पहुँचें।

 

 फ़ायदे: 

  जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत किया जाता है, और मुद्रा में सुधार होता है।  

अपनी भावनाओं पर नियंत्रण विकसित करने में आपकी सहायता करने के लिए अपने कूल्हों और पेट और अपनी मांसपेशियों को टोन करें।

 

 

1. पाचन तंत्र को मजबूत करता है | (Strengthens the digestive system)|

यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपका पाचन तंत्र मजबूत हो सकता है। इससे आपकी पेट संबंधित समस्या दूर हो सकती है।

 

2. शरीर में लचीलापन लाता है | ( Brings flexibility in the body.)


सूर्य नमस्कार एक अच्छा व्यायाम माना जाता है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो इससे आपके शरीर में लचीलापन पैदा हो सकता है और आपको झुकने उठने में आसानी होगी।

 

3.  वजन को कंट्रोल करता है | (Controls the weight )


यदि आप मोटापे की समस्या से परेशान है, तो सूर्य नमस्कार आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा। इसे करने से शरीर पर जोर पड़ता है और आपकी अनावश्यक चर्बी धीरे-धीरे कम हो सकती है।

 

4. शारीरिक मुद्राओं में  सुधार लाता है। (4. Improves physical postures.)


यदि आप बैठने वाला काम ज्यादा कर रहे हो, तो आपके लिए सूर्य नमस्कार बेहद फायदेमंद हो सकता है। सूर्य नमस्कार करने से शरीर का दर्द खत्म होता है।

 

5. हड्डियों को मजबूत करता है। (Strengthens bones.)

सूर्य से निकलने वाली विटामिन डी हमारे हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो हड्डी से संबंधित बहुत सारी बीमारियां दूर हो सकती है।

6. तनाव में लाभदायक

सूर्य नमस्कार करते समय हम लंबी सांस लेते है, जिसकी वजह से हमारे शरीर में होने वाली बेचैनी और तनाव बहुत हद तक दूर होती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो अपका तनाव बहुत हद तक दूर कर सकता है।

 

7. कब्ज दूर करे

झुकने वाले कामों को करने से कब्ज की समस्या कभी भी नहीं होती है। यदि आप सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करें, तो आपकी कब्ज की शिकायत बहुत हद तक दूर हो सकती है।

 

8. अनिद्रा की समस्या |

सूर्य नमस्कार करने से शरीर को राहत मिलती है। इसकी वजह से हमें नींद अच्छी आती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपकी अनिद्रा की समस्या बहुत हद तक दूर हो सकती है।

 

9. ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने में लाभदायक

सूर्य नमस्कार करने से शरीर में खून का संचार तेजी से होता है। इससे पूरे शरीर को एनर्जी मिलती है और हम किसी काम को करने में समर्थ रहते है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपका ब्लड सर्कुलेशन हमेशा ठीक रह सकता है।

10. पीरियड

महिलाओं में पीरियड सही समय पर ना होने की समस्या अक्सर सुनने को मिलती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो इस आपके शरीर में हार्मोस बैलेंस रह सकता है और पीरियड हमेशा सही समय पर हो सकता हैं।

11.  त्वचा को रखे खूबसूरत

सूर्य नमस्कार करने से कब्ज की समस्या आसानी से दूर होती है। आपको बता दें, कि कब्ज की वजह से ही ज्यादातर त्वचा की समस्या उत्पन्न होती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपके चेहरे की झुर्रियां बहुत हद दूर हो सकती है।

12. मन की एकाग्रता

प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से वात पित्त और कफ जैसी समस्या शांत होती हैं। डॉक्टरों के अनुसार ऐसी समस्या उत्पन्न होने से मन की एकाग्रता खत्म हो जाती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपको इस तरह की बीमारियों से निजात मिल सकता है और आपकी मन की एकाग्रता सही बनी रह सकती हैं।

 

 

 

 1. Strengthens the digestive system .

If you do Surya Namaskar daily, your digestive system can be strengthened. This can solve your stomach related problems.

2. Brings flexibility in the body .


Surya Namaskar is considered a good exercise. If you do Surya Namaskar daily, it can create flexibility in your body and make it easier for you to bend over.

3. Controls Weight.


If you are troubled by the problem of obesity, then Surya Namaskar will be very beneficial for you. By doing this, the body gets stressed and your unnecessary fat can be reduced gradually.

4. Improves physical postures.


If you are doing more sitting work, then Surya Namaskar can be very beneficial for you. By doing Surya Namaskar, body pain ends.


5. Strengthens bones.

Vitamin D from the sun helps in making our bones strong. If you do Surya Namaskar daily, then many diseases related to bone can be cured.

6. Beneficial in stress

While doing Surya Namaskar, we take long breaths, due to which the restlessness and stress in our body goes away to a great extent. If you do Surya Namaskar daily, then your stress can be removed to a great extent.

7. Relieve Constipation

Constipation is never a problem by doing bending works. If you do Surya Namaskar daily, your constipation problem can go away to a great extent.

8. Insomnia problem.


Surya Namaskar gives relief to the body. Due to this we get good sleep. If you do Surya Namaskar daily, your insomnia problem can be overcome to a great extent.

9. Beneficial in maintaining blood circulation

By doing Surya Namaskar, the circulation of blood in the body becomes faster. This gives energy to the whole body and we are able to do any work. If you do Surya Namaskar daily, your blood circulation can always be fine.

10. Period

In women, the problem of not having periods at the right time is often heard. If you do Surya Namaskar every day, then this can maintain the hormonal balance in your body and periods can always happen at the right time.

11. Keep Skin Beautiful

By doing Surya Namaskar, the problem of constipation is easily removed. Let us tell you that most of the skin problems arise due to constipation. If you do Surya Namaskar daily, the wrinkles on your face can be removed to a great extent.

12. Concentration of Mind

By doing Surya Namaskar daily, problems like Vata, Pitta and Kapha are pacified. According to doctors, due to such a problem, the concentration of the mind ends. If you do Surya Namaskar daily, then you can get rid of such diseases and your concentration of mind can remain correct.

 

 


 



 

 

 

 

 

 

 




 


 

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